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Chandigarh की शानदार पहल, बीमार पेड़ों के लिए Tree Ambulance सेवा

पर्यावरण बचाओ ( Save the environment ) के तहत चंडीगढ़ ( Chandigarh ) के पर्यावरण विभाग ( Environment department ) की ओर से की गई है पहल। ट्री एंबुलेंस ( Tree Ambulance ) बीमार पेड़ों ( sick trees ) के पास जाकर जानेगी उनका हाल। पेड़ों को बचाने ( for saving trees ) के लिए फोन नंबर भी उपलब्ध और आपात स्थिति में तुरंत पहुंचेगी एंबुलेंस।  

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Tree Ambulance for sick trees in Chandigarh

Tree Ambulance for sick trees in Chandigarh

चंडीगढ़। ट्री एंबुलेंस ( Tree Ambulance ) जानेगी पेड़ों का हालचाल! जी हां, ये सुनने में थोड़ा अजीब सा जरूर लग रहा है लेकिन वाकई में अब इंसानों को अस्पताल तक पहुंचाने वाली एंबुलेंस जैसी ही गाड़ी अब पेड़ों के उपचार के लिए मौजूद रहेगी। दीमक से खोखले हो चुके या बीमार पेड़ों ( sick trees ) का होगा इलाज भी होगा। इस प्रॉजेक्ट का नाम रखा गया है ट्री एंबुलेंस। यह एंबुलेंस बीमार पेड़ों के पास जाकर उनका हालचाल जानेगी ( for saving trees ) और इलाज भी करेगी।

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चंडीगढ़ ( Chandigarh ) प्रशासन ने आपातकालीन 'ट्री एंबुलेंस' सेवा शुरू की है, जो केंद्र शासित प्रदेश में सड़ने और बीमारी पेड़ों की जरूरतों को पूरा करेगी। चंदीगढ़ प्रशासन ने कहा, "हमने देखा है कि कई पेड़ दीमक और अन्य कीड़ों के कारण सड़ रहे थे। इसलिए हम पेड़ों के लिए एक एंबुलेंस सेवा का विचार लेकर आए। हम एक फोन नंबर जारी करेंगे ताकि लोग जब भी किसी पेड़ को बुरी हालत में देखें तो हमसे संपर्क कर सकें।"

चंडीगढ़ में पर्यावरण विभाग ( Environment department ) के निदेशक देवेंद्र दलाई ने कहा, "बस चंडीगढ़ के पर्यावरण भवन को कॉल करने की जरूरत होगी और विशेषज्ञों के साथ एक विशेष वाहन लोकेशन पर पहुंचेगा और जरूरतमंद पेड़ों की मदद करेगा। सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं और हम बहुत जल्द सेवा शुरू कर देंगे।"

चंडीगढ़ ट्री एंबुलेंस ( Tree Ambulance ) शुरू करने वाला पहला शहर बनने जा रहा है। आम लोग भी ऐसे पेड़ों का पता लगाकर एंबुलेंस को फोन करके बुला सकेंगे। यह पहल पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) के साथ मिलकर चंडीगढ़ फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट करने जा रहा है। दोनों के बीच ट्री एंबुलेंस चलाने का एग्रीमेंट हो चुका है।

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कोरोना वायरस से जहां पूरा देश प्रभावित है, वहीं पेड़ भी इसकी चपेट में आ चुके हैं, क्योंकि अगर ये महामारी नहीं होती तो अभी तक यह एंबुलेंस सेवा शुरू हो जाती। लेकिन अब जल्द ही इसके चालू होने के आसार नजर आ रहे हैं। इस एंबुलेंस के साथ एक एक्सप‌र्ट्स टीम भी होगी। यह टीम पीएयू की ही होगी। लेकिन एंबुलेंस के लिए व्हीकल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट उपलब्ध कराएगा। जबकि एंबुलेंस में पेस्टीसाइट्स और दूसरा सामान भी डिपार्टमेंट की तरफ से ही मुहैया करवाया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद एंबुलेंस की संख्या बढ़ेगी। साथ ही कई दूसरे शहर भी इसे अपने यहां अपनाएंगे।

चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट देबेंद्र दलाई ने बताया कि काफी पुराने पेड़ों में दीमक लगी है। आम लोगों से भी ऐसे पेड़ों की जानकारी मिलती है, तो तुरंत एंबुलेंस पहुंचेगी और एक्सपर्ट ट्रीटमेंट करेंगे। एंबुलेंस को केवल दीमक तक सीमित नहीं रखेंगे। अगर कोई पेड़ सड़क पर आ रहा है, उसे तुरंत ट्रिम की जरूरत है या किसी पेड़ के गिरने की आशंका है, ऐसी स्थिति में भी ट्री एंबुलेंस काम करेगी। यह एक अलग तरह का प्रयास ( Save the environment ) फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से होगा।