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राष्ट्रों का आतंक बेहद पेचीदा: गुटेरेस
‘वैश्विक चुनौतियां-वैश्विक समाधान’ विषय पर एक सेमीनार में बोलते हुए गुटेरेस ने कहा कि आतंकवाद की परिभाषा को लेकर वैश्विक समुदाय में कोई सहमति नहीं है। इसका कोई चमत्कारिक समाधान नहीं है। बहुत सारे सदस्य इस बारे में प्रयास कर रहे हैं। समस्या यह है कि आतंकवाद को लेकर अनेक बेहद पेचीदा पहलू हैं जैसे राष्ट्रों का आतंकवाद। अब इस प्रकार की बातों को लेकर कोई साझा परिभाषा तय करना बेहद मुश्किल है। पर यह सच है कि हमने कभी भी आतंकवाद को आश्रमय नहीं दिया और ना ही उसे संधि के माध्यम से परिभाषित करने का प्रयास किया। लेकिन भारत यह प्रयास कर रहा है और हम भारत के प्रयासों का समर्थन करते हैं।
‘आतंक के चंगुल में फंस सकते हैं रोहिंग्या’
रोहिंग्या मुसलमानों का उदाहरण देते हुए एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि म्यांमार के रोहिंग्या समुदाय के साथ भेदभाव और उसकी समस्याओं को लटकाए रखने से उस समुदाय के आतंकवाद के चंगुल में फंसने की संभावना है। उन्होंने कहा कि आज के युग में आतंकवाद एक प्रमुख वैश्विक चुनौती है। संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद निरोधक तथा उग्रवाद और कट्टरवाद निरोधक प्रकोष्ठ बनाया गया है जिसे दुनिया की करीब 38 एजेंसियों से सहयोग मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि आज के युग में आतंकवाद एक बेहद जटिल समस्या बन चुका है। इसमें इतने अधिक पहलू शामिल हैं जिनके समाधान खोजा जाना जरूरी है।