scriptयूएन महासचिव गुटेरेस बोले- आतंकवाद को रोकने के लिए भारत की कोशिश सराहनीय | UN chief Antonio Guterres says India's efforts to curb terrorism are appreciated | Patrika News

यूएन महासचिव गुटेरेस बोले- आतंकवाद को रोकने के लिए भारत की कोशिश सराहनीय

Published: Oct 02, 2018 09:05:33 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि म्यांमार के रोहिंग्या समुदाय के साथ भेदभाव और उसकी समस्याओं को लटकाए रखने से उस समुदाय के आतंकवाद के चंगुल में फंसने की संभावना है।

Antonio Guterres

यूएन महासचिव गुटेरेस बोले- आतंकवाद को रोकने के लिए भारत की कोशिश सराहनीय

नई दिल्ली। पूरी दुनिया आतंकवाद के दानव से परेशान है। संयुक्त राष्ट्र संघ में भी समय समय पर यह मुद्दा उठता रहता है। भारत दौरे पर आए यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को एक प्रमुख वैश्विक चुनौती बताया लेकिन इसके रूप और कारणों की जटिलता का हवाला देते हुए वैश्विक निकाय में स्पष्ट रूप से परिभाषित किए जाने को लेकर असमर्थता जता दी। गुटेरेस ने इसके साथ ही आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा चलाए जा रहे अभियानों की सराहना की है।

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राष्ट्रों का आतंक बेहद पेचीदा: गुटेरेस

‘वैश्विक चुनौतियां-वैश्विक समाधान’ विषय पर एक सेमीनार में बोलते हुए गुटेरेस ने कहा कि आतंकवाद की परिभाषा को लेकर वैश्विक समुदाय में कोई सहमति नहीं है। इसका कोई चमत्कारिक समाधान नहीं है। बहुत सारे सदस्य इस बारे में प्रयास कर रहे हैं। समस्या यह है कि आतंकवाद को लेकर अनेक बेहद पेचीदा पहलू हैं जैसे राष्ट्रों का आतंकवाद। अब इस प्रकार की बातों को लेकर कोई साझा परिभाषा तय करना बेहद मुश्किल है। पर यह सच है कि हमने कभी भी आतंकवाद को आश्रमय नहीं दिया और ना ही उसे संधि के माध्यम से परिभाषित करने का प्रयास किया। लेकिन भारत यह प्रयास कर रहा है और हम भारत के प्रयासों का समर्थन करते हैं।

‘आतंक के चंगुल में फंस सकते हैं रोहिंग्या’

रोहिंग्या मुसलमानों का उदाहरण देते हुए एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि म्यांमार के रोहिंग्या समुदाय के साथ भेदभाव और उसकी समस्याओं को लटकाए रखने से उस समुदाय के आतंकवाद के चंगुल में फंसने की संभावना है। उन्होंने कहा कि आज के युग में आतंकवाद एक प्रमुख वैश्विक चुनौती है। संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद निरोधक तथा उग्रवाद और कट्टरवाद निरोधक प्रकोष्ठ बनाया गया है जिसे दुनिया की करीब 38 एजेंसियों से सहयोग मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि आज के युग में आतंकवाद एक बेहद जटिल समस्या बन चुका है। इसमें इतने अधिक पहलू शामिल हैं जिनके समाधान खोजा जाना जरूरी है।

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