28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

केंद्र सरकार का राज्यों को निर्देश- अन्य मरीजों के इलाज में आनकानी न करें अस्पताल

इलाज से पहले मरीजों पर कोरोना ( Coronavirus ) टेस्ट कराने का दबाव बना रहे हॉस्पिटल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ( Health Ministry ) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखा पत्र

2 min read
Google source verification
केंद्र सरकार का राज्यों को निर्देश- अन्य मरीजों के इलाज में आनकानी न करें अस्पताल

केंद्र सरकार का राज्यों को निर्देश- अन्य मरीजों के इलाज में आनकानी न करें अस्पताल

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ( Modi Goverment ) ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि स्वास्थ्य सुविधाएं, विशेष रूप से निजी क्षेत्र में, कार्यात्मक बनी रहें।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ( Union Ministry of Health ) ने कहा कि कई जगहों से शिकायत आ रही है कि कुछ प्राइवेट अस्पताल कोरोना ( coronavirus ) के डर से डायलिसिस, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, कीमोथेरेपी और प्रसव करवाने से इंकार कर रहे हैं।

जबकि कई जगह प्राइवेट अस्पताल सभी मरीजों को पहले कोरोना जांच करवाने के लिए कह रहे हैं।

मौसम विभाग की चेतावनी, 24 घंटे के भीतर देश के इन राज्यों में होगी तेज बारिश

राज्यों को कहा गया है कि वे यह सुुनिश्चित करें कि लॉकडाउन के दौरान सभी अस्पताल खुले रहें और सभी अनिवार्य सेवाएं उपलब्ध करवाएं।

इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है।

पत्र में स्वास्थ्य सचिव ने कई अस्पतालों और क्लीनिकों की रिपोर्ट पर ध्यान आकर्षित किया, जो सेवाएं प्रदान करने से पहले COVID-19 की जांच पर जोर दे रहे थे।

प्रीति सूदन ने कहा कि कोई भी कोरोना वायरस का टेस्ट केवल भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाएगा।

जम्मू—कश्मीर: शोपियां में सुरक्षाबलों और आतंकी के बीच मुठभेड़, एक आतंकी ढेर

लालू यादव का भी हो सकता है कोरोना टेस्ट, अलर्ट मोड़ में झारखंड हेल्थ डिपार्टमेंट

स्वास्थ्य सचिव ने मुख्य सचिवों या प्रशासकों से आशंकाओं को दूर करने, अनिश्चितता को कम करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सभी स्वास्थ्य सुविधाएं, विशेषकर निजी क्षेत्र, क्लीनिक और अस्पताल दोनों कार्यात्मक रहें।

उन्होंने लिखा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि डायलिसिस, कीमोथेरेपी और प्रसव सहित किसी भी आवश्यक व महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए इनकार नहीं किया जा सकता।