22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

असम के लिए इसलिए खास है एनआरसी ड्राफ्ट, नागरिकों पर पड़ेगा खास प्रभाव

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) का असम के नागरिकों के लिए क्या महत्व है और क्यूं ये असम के लिए बनाया गया है। जानिए एनआरसी के बारे में सबकुछ..

2 min read
Google source verification

image

Kiran Rautela

Jul 30, 2018

nrc

असम के लिए इसलिए खास है एनआरसी ड्राफ्ट, नागरिकों पर पड़ेगा खास प्रभाव

नई दिल्ली। असम में आज नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) का दूसरा और आखिरी ड्राफ्ट जारी होने वाला है। जिसे लेकर राज्य में सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। बता दें कि एनआरसी की लिस्ट जारी होने से असम के लोग खासा प्रभावित होने वाले हैं, जिसे देखते हुए राज्य के 14 जिलों में धारा 144 लागू कर दिया गया है।

वहीं वरिष्ठ अधिकारियों ने हर जिले के जिला उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को कड़ी सतर्कता बरतने को कहा है।

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) का असम के नागरिकों के लिए क्या महत्व है और क्यूं ये असम के लिए ही बनाया गया है। इन सारे सवालों के जवाब शायद बहुत कम लोग जानते हैं।

असम: आज जारी होगा एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट, सीएम सोनोवाल ने की लोगों से शांति की अपील

क्या है एनआरसी और असम के लिए क्यूं है जरूरी

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) से ही ये बात तय होगी कि कौन मूल रूप से यहां का नागरिक है और कौन अवैध रूप से यहां पर रहा है। 1955 के सिटिजनशिप एक्ट के तहत केंद्र सरकार की ये जिम्मेदारी है कि वह देश के प्रत्येक परिवार और नागरिक की जानकारी रखे। लेकिन 2004 में इसमें संशोधन हुआ जिसके तहत प्रत्येक

नागरिक को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस यानी एनआरसी में रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य कर दिया गया।

बता दें कि असम में कई बांग्लादेशी रहते हैं और राज्य में उनकी आवाजाही बनी रहती है। एनआरसी की सबसे पहले चर्चा 2005 में कांग्रेस शासन के दौरान शुरू हुई थी। उसके बाद से भाजपा के आने से इस प्रक्रिया में तेजी आई। वहीं सुप्रीम कोर्ट भी इस पर बराबर नजर बनाए रखे हुए थी। दरअसल असम में अवैध रूप से रह रहे लोग को रोकने के लिए सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) अभियान चलाया है। इसके तहत इस बात की पुष्टि की जाती है कि व्यक्ति देश का नागरिक है या नहीं। अगर वो इसमें फेल हो जाता है या उसके पास कोई प्रमाण नहीं होता है तो उनकी पहचान पता करके उनके देश भेजा जाएगा।

आंकड़ों की मानें तो असम में करीब 50 लाख बांग्लादेशी गैर-कानूनी तरीके से रह रहे हैं। जिससे कई बार यहां हिंसक घटनाएं भी हुईं।

एक आंकड़े के मुताबिक असम में करीब 50 लाख बांग्लादेशी गैर-कानूनी तरीके से रह रहे हैं। 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान वहां से पलायन कर रहे लोग भारी संख्या में भारत भाग आए इस कारण स्थानीय लोगों और घुसपैठियों में कई बार हिंसक वारदातें हुई हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए ही एनआरसी जरूरी कर दिया गया।

गौरतलब है कि नागरिकता साबित करने के लिए लोगों से 14 तरह के प्रमाणपत्र यह साबित करने के लिए लगवाए गए कि उनका परिवार 1971 से पहले राज्य का मूल निवासी है या नहीं। इसका पहला ड्राफ्ट जनवरी में जारी हो चुका है।