दिल्ली हाईकोर्ट में कोविड टेस्टिंग में इस्तेमाल स्वैब के सुरक्षित निपटान पर याचिका।
अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से इस संबंध में निर्देश लेने के लिए कहा।
अदालत को इस बारे में अवगत कराने के निर्देश के साथ 3 दिसंबर को होगी सुनवाई।
What’s Govt stand on safe disposal of swabs used in COVID-19 testing: Delhi HC
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के रैपिड एंजीटन टेस्टिंग के दौरान सैंपल लेने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले स्वैब्स को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के वकील को निर्देश लेने के लिए कहा। हाईकोर्ट इन स्वैब्स के सुरक्षित निपटान के लिए कड़े उपायों का पालन करने के निर्देश देने की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने याचिका और सबमिशन देखने के बाद दिल्ली सरकार के वकील से निर्देश लेने के लिए कहा। इसके साथ ही इसके बारे में अदालत को अवगत कराए जाने की बात कहते हुए मामले को 3 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया।
डीसीजीआई की अनुमति के बाद रूस की Sputnik-V कोरोना वैक्सीन आज आ गई भारत, यह है वजह अधिवक्ता पंकज मेहता द्वारा दायर जनहित याचिका में कोरोना वायरस के परीक्षण में अपशिष्ट निपटान (वेस्ट डिस्पोजल) पर विशिष्ट दिशानिर्देश बनाने और राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 परीक्षण केंद्रों में सुरक्षा ऑडिट करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।
इस जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस्तेमाल किए गए स्वैब को सार्वजनिक रूप से फेंका जा रहा है और लाजपत नगर में दक्षिण पूर्वी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में कोविड-19 टेस्ट के लिए इस्तेमाल किए गए स्वैब के ढेर पर परीक्षण किए जा रहे हैं।
याचिका में कहा गया, “इस तरह से स्वैब के निपटान के पीछे व्यापक संक्रमण के जोखिम और अनियमितता के बारे में शिकायत करने पर, काउंटर पर संबंधित चिकित्सक ने कहा कि स्वैब निगेटिव व्यक्तियों के हैं और इस प्रकार उन पर खड़े होना और परीक्षण करवाना सुरक्षित है।”
याचिका में उल्लेख किया गया है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 3 जुलाई 2020 को एक नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल अधिसूचना के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं के सभी क्षेत्रों में सुरक्षित अपशिष्ट प्रबंधन और पर्यावरण की सफाई पर जोर दिया है।
इस तरह की लापरवाही भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकारों के उल्लंघन पर, अदालत के हस्तक्षेप की मांग करती है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल के महीनों में जारी फैसलों में कहा था कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए।