
वॉट्सएप ने ट्वीटर पर दी नई पॉलिसी को लेकर सफाई
नई दिल्ली। व्हाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी ( Whatsapp Privacy Policy ) में बदलाव को लेकर फिर विवादों में है। 200 करोड़ उपभोक्ता असमंजस में हैं कि क्या करें। यूरोपीय क्षेत्र के देशों को छोड़कर फेसबुक इंक की व्हाट्सएप की नई पॉलिसी को स्वीकारने का मैसेज भेज रहा है।
संदेश में है कि यदि मैसेजिंग एप का उपयोग करते रहना चाहते हैं तो नई शर्तों को स्वीकार करना होगा। इससे करीब एक सप्ताह में यूजर्स की घटती संख्या व अन्य मैसेजिंग एप पर यूजर्स की संख्या तेजी से बढऩे की वजह से व्हाट्सएप ने अपने ट्विटर हैंडल पर सफाई दी है।
यूरोपीय देशों के लिए प्राइवेसी पॉलिसी क्यों नहीं
व्हाट्सएप की यूरोपीय क्षेत्र के देशों, ब्राजील व अमरीका के लिए अलग-अलग प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तें हैं। यूरोपियन देशों में यूजर्स का डाटा शेयर संबंधी कानून 2016 के उल्लंघन पर कंपनी को वैश्विक वार्षिक राजस्व का 4 फीसदी तक का अर्थदंड देना होगा। यहीं नहीं उसे प्रतिबंधित भी किया जा सकता है। ईयू एंटी ट्रस्ट आथॉरिटी ने 2017 में 981 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा चुकी है।
क्या है नई प्राइवेसी पॉलिसी
वाट्सऐप ने नई निजता नीति के तहत आठ फरवरी के बाद यूजर्स का इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस (आइपी एड्रेस), पेमेंट डिटेल सबकुछ फेसबुक, इंस्टाग्राम या थर्ड पार्टी को दे सकता है। आपके फोन से बैटरी, सिग्नल, ऐप, ब्राउजर, भाषा, फोन नंबर, सेवा प्रदाता समेत कई अन्य जानकारियां लेने को स्वतंत्र होगा।
सफाई में क्या कहा-
व्हाट्सएप ने प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर सफाई दी है कि सामान्य अकाउंट के प्राइवेट चैट सुरक्षित रहेंगे। यह बदलाव सिर्फ बिजनेस अकाउंट के लिए किया गया है।
- चैट, वाइस मैसेज या कॉल्स को देखता नहीं है।
- यूजर की चैट या कॉल्स को सुरक्षित नहीं करता है।
- कॉन्टैक्ट नंबर को फेसबुक पर शेयर नहीं करता है
- चैट व मैसेज का डिसअपीयर ऑप्शन सेट कर सकते हैं
- आपकी शेयर लोकेशन व्हाट्सऐप, न ही फेसबुक देखता है
- व्हाट्सएप ग्रुप निजी हैं इसे पब्लिक नहीं किया है।
- आप अपना डाटा डाउनलोड कर सकते हैं
इसलिए बदली प्राइवेसी पॉलिसी
2020 की तीसरी तिमाही में फेसबुक में 2150 करोड़ का विज्ञापन मिला लेकिन व्हाट्सएप को नहीं मिला। इसीलिए व्हाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव कर यूजर के डाटा का प्रयोग लक्षित विज्ञापन के लिए करना चाहती है।
क्योंकि....ठोस कानून नहीं
साइबर सुरक्षा से जुड़े ठोस कानूनों के अभाव में इन उपयोक्ताओं के डाटा में सेंध आसान है। भारत के आइटी कानून की धारा-1 व धारा-75 के अनुसार यदि कोई सेवा प्रदाता भारत के बाहर स्थित है, लेकिन सेवाएं भारत में कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर भी उपलब्ध हैं तो वह कानून के अधीन भी हो जाएगा। लेकिन वह 'इंटरमीडिएरी' की परिभाषा के दायरे में आता है। लेकिन यहां पर ईयू जैसे सख्त कानून नहीं हैं।
Published on:
13 Jan 2021 09:36 am
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