विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इससे पहले कहा था कि सार्वजनिक जगहों में लोगों के फेस मास्क पहनने से महामारी को फैलने से रोकने में मदद मिल सकती है। लेकिन द गार्जियन की एक रिपोर्ट को मानें तो अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हांगकांग के डेटा के आधार पर अपना फैसला बदल लिया है।
Coronavirus: गुजरात के जामनगर में 14 माह के बच्ची की मौत, देश में सबसे कम उम्र की मरीज हांगकांग के शोध डेटा के अनुसार फेस मास्क पहनने से सिर्फ कुछ इलाकों में ही वायरस के संक्रमण को रोका जा सका है। उसके बाद विश्व स्वासथ्य संगठन की तरफ से इस बारे में अपडेटेड गाइडलाइन जारी हुई है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से कहा गया है कि इस बात के सबूत नहीं मिले हैं कि एक समुदाय के सभी लोगों के मास्क पहनने की वजह से स्वस्थ लोग महामारी की चपेट में नहीं आ पाए।
WHO के साइंटिफिक और टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप के चेयरमैन और लंदन के स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसीन के प्रोफेसर डेविड हेमैन की तरफ से कहा गया है कि अगर कोई आदमी हेल्थ केयर सिस्टम में काम नहीं कर रहा हो तो मास्क सिर्फ दूसरों को संक्रमित करने से बचाता है। खुद को संक्रमण से मुक्त नहीं रखता।
कोरोना वायरस: दिल्ली में कम्युनिटी ट्रांसमिशन पर अधिकारी मौन क्यों, आखिर सच क्या है? इस कमिटी की ओर से कहा गया है कि वायरस का संक्रमण बीमारी के बिना लक्षण वाले संक्रमितों से भी फैला है। वायरस का संक्रमण पानी की बूंदों और संक्रमित सतह से भी फैलता है। इसलिए फिजिकल डिस्टेंसिंग और बार-बार हाथ धोना ज्यादा सुरक्षित उपाय हैं।
अपडेटेड गाइडलाइन में इस बात का भी जिक्र है कि जिनमें कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण हों, उन्हें फेस मास्क पहनना चाहिए। ऐसे लोगों को तुरंत सेल्फ आइसोलेट होना चाहिए और जितनी जल्दी हो सके मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए।