
Alert: : दोगुनी रफ्तार से पिघल रहे हिमालय के ग्लेशियर, खतरे में इन राज्यों का अस्तित्व?
नई दिल्ली। उत्तराखंड ( Uttarakhand Disaster ) एक बार फिर प्राकृतिक आपदा ( natural calamity )
की मार से जूझ रहा है। चमोली जिले ( Chamoli district ) के रेनी गांव के पास एक पॉवर प्रोजेक्ट के पास हिमस्खलन होने से धौलीगंगा नदी के जल स्तर में भारी बढ़ोतरी हो गई, जिसकी वजह से जोशीमठ क्षेत्र में लोगों को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा है। घटना रेनी गांव के पास हुई, जो जोशीमठ से 26 किमी दूर है। धौलीगंगा ( Dhauliganga ) नदी के जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी हो गई और इसके किनारे कई घर नष्ट हो गए। हालांकि वैज्ञानिक ग्लेशियर टूटने की वजह ग्लोबल वॉर्मिंग ( Global warming ) को बताते हैं। इस बीच हाल ही में हुई एक स्टडी से खुलासा हुआ है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से हिमालय के लगभग 650 ग्लेशियर बहुत तेजी के साथ पिघल रहे हैं।
सैटेलाइट के माध्यम से रखी गई नजर
साल 2019 में हुई एक स्टडी से खुलासा हुआ है कि बीते 20 सालों में हिमालय के ग्लेशियर बहुत तेजी के साथ पिघलना शुरू हुए हैं। दरअसल, स्टडी के दौरान भारत, चीन और भूटान जैसे देशों में फैले हिमालय के ग्लेशियरों पर सैटेलाइट के माध्यम से नजर रखी गई। इस दौरान खुलासा हुआ है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियर तेजी से टूट रहे हैं और नदियों का जल स्तर बढ़ा रहे हैं। स्टडी बताती है कि 1975 से साल 2000 तक प्रत्येक वर्ष औसतन 400 करोड़ टन बर्फ पिघली है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इसके बाद से बर्फ पिघलने में खासी तेजी देखी गई।
तापमान में एक डिग्री सैल्सियस से ज्यादा वृद्धि
स्टडी में तो यह तक पाया गया कि हिमालय का जो क्षेत्र लगभग दो हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी पट्टी में फैला है, उसके तापमान में एक डिग्री सैल्सियस से ज्यादा वृद्धि हो चुकी है। विज्ञान पत्रिका साइंस एडवांसेज में प्रकाशित इस स्टडी के अनुसार सैटेलाइट से मिली तस्वीरों के अध्ययन में पाया गया कि 1975 से 25 साल बाद तक हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियर पिघलने की रफ्तार हर साल 10 इंच थी, लेकिन उसके बाद से 2016 तक यह स्पीड़ 20 इंच तक हो चुकी है। तस्वीरों के विश्लेषण से पता चला कि हिमालय क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव आया है और 650 ग्लेशियरों पर खतरे की बादल मंडरा रहे हैं।
दुनिया के आठ देशों में तबाही की घंटी बज गई
स्टडी में पता चला कि जिस रफ्तार से ग्लेशियर पिघल रहे हैं, उससे दुनिया के आठ देशों में तबाही की घंटी बज गई है। इससे भी अधिक भयानक बात यह है कि भूटान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, म्यांमार और चीन के साथ इन देशों की सूची में भारत भी शामिल है। बताया गया है कि जिन 680 ग्लेशियरों पर खतरा मंडरा रहा है, उससे भारत का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। स्टडी में यह भी सामने आया है कि अगर जलजला आया तो भारत में तटीय और नदि किनारे वाले राज्यों के सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
Updated on:
07 Feb 2021 05:23 pm
Published on:
07 Feb 2021 05:01 pm
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