ऐसे हुई थी शुरुआत
तंबाकू के सेवन से ज्यादा मौतें होने लगी। इसको देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में नो टोबैको डे मनाने की शुरुआत की थी। हालांकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की वर्षगांठ के अवसर पर पहली बार इस दिन को 7 अप्रैल 1988 को मनाया गया था। इसके बाद 31 मई 1988 को WHO42.19 प्रस्ताव पास किया गया। तब से इस दिन को हर साल 31 मई को मनाया जाने लगा।
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तंबाकू से कोरोना बढ़ने का खतरा
आज बड़ी संख्या में लोग तंबाकू का सेवन करते है। स्मोकलेस तंबाकू जो कि गुटका, पान, खैनी, सुरती, सुंघनी मंजन के द्वारा उपयोग किया जाता है। मुंह में चबाते समय लार का स्राव अधिक होने से बार-बार थूकना पड़ता है। इस तरह थूकने से कोरोना आसपास फैलने का खतरा ज्यादा होती हैं। इस प्रकार से धूम्रपान करने वाले से मुंह एवं हाथ को बार-बार छुने से भी कोरोना ज्यादा फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
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कमजोर हो रहे फेफड़े
वरिष्ठ छाती और श्वास रोग विशेषज्ञ डॉक्टर्स का कहा है कि कोरोना संक्रमण काल में तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति के लिए कोरोना का जोखिम 50 प्रतिशत बढ़ जाता है। तंबाकू के सेवन की वजह से कैंसर, दिल की बीमारी और सांस की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। इस समय भारत में हर तीसरा या चौथा आदमी तंबाकू का उपयोग कर रहे हैं। बीड़ी और सिगरेट के पीने से फेफड़े कमजोर होते हैं। ऐसे लोग को कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर यह वायरस खतरनाक ढंग से अपना प्रभाव डालता है।
तंबाकू से 40 तरह के कैंसर सहित हो सकती हैं कई बीमारियां
बताया जाता है कि तंबाकू के धूएं में 500 हानिकारक गैसें एवं 7000 व अन्य रसनायिक गैस निकलती है। तंबाकू की वजह से लगभग 25 तरह की बीमारी और 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं। इसकी वजह से दातों का सड़ना, मसूड़ों का रोग, मुंह से बदबू होना, दात के बदरंग होना भी होता है। नियमित रूप से तंबाकू सेवन करने से सांस का फूलना, टीबी, माइग्रेन, सिरदर्द, असमय बालों का झड़ना व सफेद होना, आंखों में मोतियाबिंद की परेशानी, हृदय की बीमारी व हार्ट अटैक, पेट में फोड़ा, खून की बीमारी पुरषों में नपुंसकता आदि की बीमारी भी हो सकती है।