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दक्षिण एशियाई देशों में मजबूत आतंकी नेटवर्क
बता दें कि दक्षिण एशियाई देश में आतंकी संगठनों का नेटवर्क मजबूत है। श्रीलंका में हुए धमाकों की जिम्मेदारी घटना के दो दिन बाद यानी मंगलवार को आतंकी संगठन ISIS ने ली। लेकिन क्या यह वास्तव में सत्य है। शायद नहीं! ऐसा इसिलए है क्योंकि अभी तक जितने भी संदिग्ध लोगों को पकड़ा गया है उनमें से किसी का भी संबंध ISIS से नहीं मिला है। दूसरी सबसे बड़ी बात कि इसमें पाकिस्तानी लोगों के नाम आए हैं। पूरी दुनिया में पाकिस्तान को आतंक का गढ़ माना जाता है। पाकिस्तान की धरती से जैश-ए-मोहम्मद , लश्कर-ए-तौएबा, अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, लश्कर-ए-झांगवी, जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) जैसे कई आतंकी संगठन संचालित होते हैं। दक्षिण एशियाई देश अफगानिस्तान, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, मालदीव आदि देशों में हाल के वर्षों में आतंकवाद की जड़ें काफी मजबूत हुई है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2014 में पेशावर, 2008 में मुंबई के ताज होटल और बलूचिस्तान के मस्तंग, 2017 में अफगानिस्तान की राजधानी काबूल में जर्मन दूतावास के पास और अब श्रीलंका के चर्च व होटलों में बम धमाकों को अंजाम दिया गया। इन सभी हमलों के तार पाकिस्तान की धरती से कहीं न कहीं जुड़े हुए पाए गए।
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भारत में प्रतिरोध
दरअसल भारत में आतंकियों के सफाए के लिए सेना ऑपरेशन ऑल आउट चला रही है। अब तक सैंकड़ों की संख्या में आतंकियों को ढेर किया जा चुका है। इससे अब आतंकियों को यह लगने लगा कि भारत की धरती में ज्यादा दिनों तक आतंकी गतिविधियों को अंजाम नहीं दिया जा सकता है। इसलिए दूसरी ऐसी जमीन तलाश रहे हैं जहां आसानी के साथ घटना को अंजाम दिया जा सकता है। साथ ही विश्व स्तर पर भारत आतंक के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहा है।
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श्रीलंका में कट्टरपंथी इस्लाम का होना
श्रीलंका की आबादी करीब 22 करोड़ है। जिसमें सिंहली बौद्ध समुदाय सबसे अधिक हैं। इसके बाद हिन्दुओं की संख्या है। श्रीलंका में मुस्लिम समुदाय की संख्या करीब 10 प्रतिशत है, वहीं ईसाईयों की संख्या 7 फीसदी है। श्रीलंका में क्रिस्चन, हिन्दू और मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। अभी तक जिन संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया गया है उसमें से कई के संबंध पाकिस्तान से हैं। सरकार ने भी हमले के बाद यह दावा किया था कि इस हमले को कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन नेशनल तौहीद जमात ( NTJ ) ने दी है। बाद में जब दो आत्मघाती हमलावरों की पहचान हुई तो यह प्रमाणित हो गया। श्रीलंका में जितने भी मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं उसमें से अधिकांश कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित हैं। लिहाजा हो सकता है कि न्यूजीलैंड में क्राइस्टचर्च के दो मस्जिदों में हुए हमले का बदला लेने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया हो। क्योंकि इस हमले में हिन्दू, क्रिस्चन और यहूदियों को निशाना बनाकर बम धमाकों को अंजाम दिया गया था। इस बात की आशंका श्रीलंका के उप रक्षामंत्री ने भी जाहिर की थी। बहरहाल अभी तक इसका प्रणािक तथ्य सामने नहीं आए हैं।
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श्रीलंका में पाकिस्तानी लोगों की आवाजाही
बता दें कि पाकिस्तान के लोग बहुत ही आसानी के साथ और अधिक संख्या में श्रीलंका में आवाजाही करते हैं। श्रीलंका में पाकिस्तानी लोगों की संख्या काफी अधिक है। व्यापार हो या पर्यटन की दृष्टि से पाकिस्तानी लोगों को संबंध श्रीलंका से बहुत करीब है। ऐसे में हमलावरों का श्रीलंका में प्रवेश करना और उन होटलों तक पहुंचना भी आसान रहा। बहरहाल श्रीलंका में हुए हमले का अभी जांच प्रक्रिया चल रही है और संदिग्धों से पूछताछ किया जा रहा है।
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