
नई दिल्ली। इंसान की थोड़ी सी लापरवाही किस हद तक किसी दूसरे को नुकसान पहुंचा सकती है इसके बारे में हम अंदेशा तक नहीं लगा सकते है। लापरवाही की हद तो उस वक्त पार हो गई जब धोखे से एक जि़ंदा महिला को कब्र में दफना दिया गया और इस वजह से उसकी वाकई में मौत हो गई। ये घटना ब्राजील की है जहां रोज़ाएंजेला एल्मीडा नामक महिला को उसके परिवारवालें धोखे से कब्र में दफना दिया जहां विना वायु और उचित परिस्थिति के अभाव में उसकी मौत हो गई।
दरअसल अल्मीडा को दो बार दिल का दौरा पड़ा और फिर उसे लोगों ने मृत समझकर उसकी बॉडी को कब्रिस्तान ले जाकर वहां दफना दिया जहां एल्मीडा लगभग 11 दिन तक जमीन से बाहर निकलने की कोशिश में ताबूत को अंदर से खरोंचती रही, चींखती रही, चिल्लाती रही लेकिन उसकी किसी एक ने नहीं सुनी हालांकि कब्रिस्तान के आसपास रह रहे लोगों को कई दिनों तक वहां किसी के रोने और चीखने की आवाजें सुनाई देती थीं और इस मामले में भी वही हुआ जो होता आ रहा है, इस बार भी लोगों ने इस वाक्ये को भूत-प्रेत से जोड़ा और इससे दूरी बनाने में ही अपनी भलाई समझी लेकिन जब लगातार इस तरह की आवाजें दिन-रात आती रहीं तो लोगों ने इस पर गौर फरमाया और इस बात की जानकारी एल्मीडा के परिवारवालों तक पहुंचाई लेकिन जब तक उसके परिवारवालें वहां पहुंचे तब तक एल्मीडा जिंदगी की जंग में वाकई हा चुकी थी और दुनिया को अलविदा कह चुकी थी।
ताबूत को खोलकर जब बॉडी को बाहर निकाला गया तो एल्मीडा के हाथ-पैर में चोट के निशान, ताबूत पर नाखून की खरोंचे और खून तकपाया गया जिससे ये बात तो स्पष्ट हो गई कि ताबूत में कील ठोंककर दफनाए जाने के बाद भी एल्मीडा जिंदा थी और बाद में होश आने पर बाहर निकलने के लिए भरपूर संघर्ष भी किया।
इससे एक बात तो हमें पता चलती है कि बिना डॉक्टरी जांच और पोस्टमार्टम के किसी को कभी भी मृत नहीं मान लेना चाहिए। सिर्फ अंदाजे से किसी को मृत मान लेना वाकई में बहुत बड़ी गलती है।

Published on:
18 Feb 2018 11:21 am
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