
लंदन। पूरी दुनिया में जम्मू-कश्मीर को लेकर दशकों से राग अलापने वाले पाकिस्तान को एक के बाद एक कई झटके लगे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा घटनाक्रम में पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर और भी अधिक अव्यवहारिक हो गया है।
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है लेकिन पाकिस्तान इसपर अपना दावा करता है और भारत के आतंरिक मामले में दखल देता रहता है। लेकिन वह भूल जाता है कि गिलगिट-बलटिस्तान में लोग पाकिस्तान के खिलाफ ही आवाज बुलंद कर रहे हैं और आजादी की मांग कर रहे हैं।
इन सबके बीच एक जो सच्चाई और तथ्य सबके सामने है उससे पाकिस्तान के लिए मुश्किलें और भी बढ़ सकती है। दरअसल, मार्च 2017 में ब्रिटिश संसद ने गिलगिट-बलटिस्तान को भारत के जम्मू एवं कश्मीर का अभिन्न अंग बताते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था। इसके साथ पाकिस्तान की ओर से इसे एक प्रांत बनाने और क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए निंदा की थी।
1947 में पाकिस्तान के कब्जे में है
ब्रिटिश संसद में पास किए गए उस प्रस्ताव में गिलगिट-बालटिस्तान को जम्मू-कश्मीर का वैध व संवैधानिक भाग बताया गया और कहा गया है कि 1947 में पाकिस्तान ने अवैध रूप से उसे हड़प लिया था।
प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि पाकिस्तान गिलगिट-बालटिस्तान के लोगों के मूलभूत अधिकारियों को हनन कर रहा है, इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि लोगों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला जा रहा है।
बहस के दौरान ब्रिटिश सांसदों ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान राज्य विशेष अध्यादेश का उल्लंघन कर गिलगिट-बालटिस्तान क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने वाली नीति अपनाई है।
बता दें कि भारत के विभाजन के बाद गिलगिट-बालटिस्तान का क्षेत्र पाकिस्तान द्वारा जम्मू एवं कश्मीर पर हमला करने के बाद से इसके कब्जे में है।
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Updated on:
07 Sept 2019 09:24 am
Published on:
06 Sept 2019 09:43 pm
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