
हथियार नियंत्रण संधि से बाहर निकलने पर चीन ने अमरीका को लताड़ा, कहा-दुनिया पर पड़ेगा नकारात्मक असर
बीजिंग। चीन ने सोमवार को हथियार नियंत्रण संधि से बाहर निकलने पर अमरीका की जमकर आलोचना की। रूस के साथ दशकों पुरानी आणविक अस्त्र संधि तोड़ने के अमरीकी फैसले का विरोध करते हुए चीन ने इसे गलत कदम बताया और कहा कि इससे दुनिया पर नकारात्मक असर पड़ेगा। बीजिंग ने ट्रंप द्वारा इस फैसले में चीन को लपेटने की कोशिशों पर भी आपत्ति जताई और कहा कि अगर वाशिंगटन ने चीन को लेकर ऐसा फैसला लिया है तो यह और भी गलत है।
चीन की नाराजगी
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां कहा, "हम अमरीका द्वारा एकतरफा संधि तोड़ने का विरोध करते हैं। हम इस बात पर बल देते हैं कि यह फैसला गलत है। साथ ही अमरीका द्वारा इस फैसले में चीन को खींचने की कोशिशों की भी हम निंदा करते हैं। अमरीका द्वारा इस चीन को फैसला तोड़ने का कारण बताना गलत है।" बता दें कि ट्रंप ने हथियार नियंत्रण संधि से बाहर आने की घोषणा करते हुए कहा था कि रूस ने संधि का उल्लंघन किया है और चीन इसका हिस्सा नहीं है, इसलिए बेहतर यह कि इस करार से बाहर निकला जाए।
ट्रंप ने की थी घोषणा
ट्रंप ने इस समझौते को समाप्त करने के घोषणा करते हुए कहा था कि, "हम समझौते को समाप्त करने और इससे बाहर निकलने जा रहे हैं। हमें अपने उन हथियारों फिर से को विकसित करना होगा।" ट्रंप ने दावा किया था कि रूस संधि का उल्लंघन कर रहा है और उसने इस समझौते का पालन नहीं किया है। बता दें कि 1987 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और सोवियत संघ के अध्यक्ष मिखाइल गोर्बाचेव के बीच बहुचर्चित आईएनएफ पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसी समझौते के तहत अमरीका को को प्रशांत क्षेत्र में हथियार जमा करने के चीनी प्रयासों का सामना करने की अनुमति मिलती है। हालांकि यह समझौता वाशिंगटन को नए हथियारों को तैनात करने से रोकता है। ट्रंप प्रशासन के परमाणु रणनीति दस्तावेज में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि आईएनएफ संधि और अन्य प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करने का रूस का निर्णय इस तथ्य का एक स्पष्ट संकेत था कि रूस ने कभी अमरीका और इस संधि से जुड़े अन्य पक्षों की परवाह नहीं की है।
क्या है आईएएफ संधि
आईएनएफ संधि शीत युद्ध के दौरान पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा स्थापित की गई थी। इसने 500 से 5,500 किलोमीटर की दूरी की मिसाइलों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस संधि के प्रावधानों के तहत दोनों देशों को अपने हथियारों के संख्या घटानी थी। संधि के बाद अमरीका और रूस ने हजारों संग्रहित हथियारों का विनाश किया था ।
Published on:
23 Oct 2018 08:02 am
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