
वाशिंगटन।फारस की खाड़ी में बीते महीने ईरान की ओर से अमरीकी ड्रोन ग्लोबल हॉक ( US Global Hawk drone ) को मार गिराए जाने के बाद से उनकी तकनीकी क्षमता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। लिहाजा भारतीय सेना इसे खरीदने को लेकर पुनर्विचार करने के बारे में सोच रही है।
भारतीय सेना के तीनों अंगों (वायु सेना, जल सेना और थल सेना) ने 6 बिलियन डॉलर की लागत से अमरीका से 30 ड्रोन खरीदने की योजना बनाई थी। हालांकि, तीनों सेनाओं ने रक्षा मंत्री से ड्रोन को खरीदने के लिए 'आवश्यकता की स्वीकृति, को लेकर संपर्क नहीं किया है।
वायु सेना और थल सेना ने 10-10 प्रीडेटर-बी ड्रोन जबकि नौसेना ने को लंबी दूरी के निगरानी संस्करण खरीदने की योजना बनाई थी। अब इसे खरीदने को लेकर पुनर्विचार किया जा रहा है।
मिलिट्री ब्रास के अनुसार, भारतीय वायु सेना ने आंतरिक रूप से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर ( PoK ) या वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) के साथ-साथ भारत और चीन के बीच विवादित सीमा रेखा पर एक सशस्त्र ड्रोन के बच पाने बारे में सवाल उठाए हैं। चूंकि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एसएएम) सिस्टम से लैस दोनों संभावित प्रतिद्वंद्वियों के बीच इस ड्रोन को तैनात किया जाना है।
एक वरिष्ठ सैन्य कमांडर ने कहा कि 'अफगानिस्तान, पाकिस्तान, इराक और सीरिया में सशस्त्र ड्रोन का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है। पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश है, जिसके पास जवाबी क्षमताएं हैं, लेकिन SAM की ओर से या विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल से परे अमरीकी ड्रोन लेने का फैसला करने से पहले 100 बार सोचेंगे।
भारत के पुनर्विचार का ये है कारण
बता दें कि ओमान और फारस की खाड़ी में तेल टैंकरों पर हमले को लेकर अमरीका और ईरान के बीच तनाव बढ़ने के बाद ईरान ने 20 जून को एस -300 मिसाइल सिस्टम से अमरीकी ड्रोन RQ-4 Global Hawk को मार गिराया था।
बीते दिनों कश्मीर विवाद पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दिए गए बयान को लेकर भी भारत नाराज है। ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के दौरान कहा था कि वे कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता के लिए तैयार हैं। इससे पहले पीएम मोदी ने भी उनसे आग्रह किया था।
ट्रंप के इस बयान के बाद भारत ने फौरन इसका खंडन किया और कहा कि पीएम मोदी ने ट्रंप से कभी भी कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता की मांग नहीं की है।
इसके अलावा भारतीय पुनर्विचार के पीछे दूसरा महत्वपूर्ण कारण प्रीडेटोर-बी जैसे सशस्त्र ड्रोनों का निषेधात्मक कीमत है। सैन्य प्रतिष्ठान के अनुसार, एक ड्रोन प्लेटफॉर्म की लागत 100 मिलियन डॉलर होगी और लेजर-गाइडेड बम या हेल-अग्नि मिसाइल जैसे हथियारों के पूर्ण पूरक की कीमत भी 100 मिलियन डॉलर होगी।
इसका मतलब है कि हथियारों के पूर्ण पूरक के साथ एक सशस्त्र ड्रोन रफाल मल्टी-रोल फाइटर की तुलना में अधिक महंगा होगा, जो सभी हथियारों और मिसाइलों के साथ बोर्ड पर होगा।
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Updated on:
29 Jul 2019 10:21 am
Published on:
28 Jul 2019 07:24 pm
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