China की कंपनी का दावा, कोरोना वैक्सीन के दो क्लीनिकल ट्रायल सफल रहे सरकारी विधेयक के पक्ष में मतदान नेपाल के सत्ताधारी और विपक्षी राजनीतिक दलों ने शनिवार को नए विवादित नक्शे को शामिल करते हुए सरकारी विधेयक के पक्ष में मतदान किया। इसके तहत भारत के उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाली क्षेत्र में दिखाया गया है। भारत ने इसका सख्त विरोध किया हैै और इसे स्वीकार करने योग्य नहीं बताया। भारत ने स्पष्ट किया है कि बिना विश्वास का माहौल बने फिलहाल ये कोई विकल्प नहीं है।
चीन की शह पर ओली ने उठाए कदम! वरिष्ठ पत्रकार और आर्थिक दैनिक के संपादक प्रह्लाद रिजल के अनुसार नेपाल द्वारा कालापानी को शामिल करते हुए नक्शे को फिर से तैयार करना और प्रतिनिधि सदन द्वारा उसे अनुमोदित करना राष्ट्रवाद के नाम पर के पी ओली सरकार की ‘सस्ती लोकप्रियता’ है। इसके नतीजे भारी पड़ सकते हैं। रिजल का कहना है कि ओली सरकार के कदम से भारत और नेपाल के बीच विवाद खड़ा हो गया है। ये महंगा साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए उन्हें बीजिंग से संकेत मिले हैं। उन्होंने नेपाल के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में चीन की बढ़ती भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए हैं।
ब्रूक्स की मौत को हत्या माना गया, पुलिस अधिकारी ने पीठ में दो बार गोली मारी दोनों देशों के पास बातचीत के अलावा कोई विकल्प नहीं रिजल के अनुसार पीएम ओली के हालिया कदम को सत्ताधारी दल में उनके और उनके प्रतिद्वंद्वी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ के बीच सत्ता की खींचतान के तौर पर भी देखा जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी के अनुसार दोनों देशों के पास बातचीत के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें मामले को सुलझाने के लिए कूटनीति की आवश्यकता है। इसके साथ दोनों पक्षों को बैठकर बातचीत से इस समस्या का हल निकालना चाहिए।