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चीन का नेपाल में बढ़ता दखल, साइबर कनेक्टिविटी नेटवर्क पर भारत का वर्षों पुराना एकाधिकार टूटा

हिमालय नेशन की साइबर कनेक्टिविटी नेटवर्क पर दशकों से भारत का एकाधिकार रहा है। अब इसे चीन से चुनौती मिली है।

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Mukesh Kumar Bhushan

Jan 13, 2018

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काठमांडू। हिमालय नेशन की साइबर कनेक्टिविटी नेटवर्क पर दशकों से भारत का एकाधिकार रहा है। अब इस एकाधिकार को चीन से चुनौती मिली है। खबरों के अनुसार नेपाल अपने नागरिकों को इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए अब चीन से हाथ मिला रहा है। भारत के लिए यह तगड़ा झटका साबित हो सकता है क्योंकि अब तक उसका इस क्षेत्र में एकाधिकार रहा है और उसे चुनौती भी मिली है तो उस देश से जिसके साथ उसकी आर्थिक महाशक्ति बनने की प्रतियोगिता चल रही है।

एयरटेल और टाटा की खराब सेवाएं हैं जिम्मेदार
नेपाली आधिकारिक के अनुसार वर्षों तक नेपाल भारत की दो बड़ी टेलीकॉम कम्पनियों भारती एयरटेल और टाटा कम्युनिकेशंस लिमिटेड के ऊपर निर्भर रहा है और इनकी सेवाओं की गुणवत्ता का स्तर बहुत खराब रहा। नेपाल के अनुसार इन दोनों कम्पनियों के साथ हमेशा नेटवर्क फेल्योर जैसी शिकायत बनी रहती है।

करीब 60 प्रतिशत नेपाली हैं इंटरनेट यूजर
नेपाल टेलीकॉम और चाइना टेलीकॉम ग्लोबल ने चीन के केरूंग और नेपाल के रासुवागडी के बीच करीब 50 किमी तक ऑप्टिकल फायबर केबल बिछाए जाने के बाद अपनी सेवाओं भी लॉंच कर दी हैं। नेपाल टेलीकॉम के प्रवक्ता का मानना है कि चीन के इस क्षेत्र में आ जाने के बाद अब भारतीय कंपनियों को जमे रहने के लिए गुणवत्ता में सुधार करना होगा। नेपाल की 2करोड़ 80 लाख जनसंख्या में से करीब 60 प्रतिशत लोग इंटरनेट का प्रयोग करते हैं।

रेलवे नेटवर्क से और करीब आने की है कोशिश
बता दें कि भारत और चीन दोनों ही देश नेपाल में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करते हैं। दोनों ही देश इस कोशिश में वहां हाइड्रोपॉवर और सड़कों में भी निवेश कर रहे हैं। किसी तीसरे देश के साथ व्यापार करने के लिए नेपाल अब तक भारत पर निर्भर था और इस एकाधिकार को चीन ने 2016 में नेपाल को अपने पोर्ट को व्यापार का इस्तेमाल करने की अनुमति देकर तोड़ दिया। चीन की महात्वाकांक्षी परियोजना ओबोर का भी नेपाल ने समर्थन किया है। खबरों के मुताबिक नेपाल चीन से अपने यहां तिब्बत से होकर रेलवे नेटवर्क लाने के लिए भी बात कर रहा है।