scriptअमरीका के लिए तालिबान बना चुनौती, शांति वार्ता को लेकर पाक पर निर्भर | Pakistan can help to proceed Taliban peace talk | Patrika News

अमरीका के लिए तालिबान बना चुनौती, शांति वार्ता को लेकर पाक पर निर्भर

locationनई दिल्लीPublished: Jul 31, 2019 12:54:52 pm

Submitted by:

Mohit Saxena

डोनाल्ड ट्रंप से किए वादे को किस हद तक निभा पाएंगे पाक पीएम
तालिबान के प्रवक्ता ने कहा अगर निमंत्रण दिया गया तो वह पाकिस्तान जरूर जाएंगे

डोनाल्ड ट्रंप और इमरान खान

तेहरान। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी अमरीकी यात्रा के दौरान कई वादे किए थे। उन्होंने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से प्रतिबद्धता जताई थी कि वह अफगानिस्तान में तालिबान के साथ शांति वार्ता को तैयार हैं।

प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि जब वो पाकिस्तान वापस जाएंगे तो सबसे पहले तालिबान से वार्ता की पेशकश रखेंगे। मीडिया के अनुसार तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन का कहना है कि अगर उन्हें पाकिस्तान की तरफ से औपचारिक निमंत्रण दिया गया तो वह पाकिस्तान जरूर जाएंगे।

ऐसे में आशंका लगाई जा रही है कि तालिबान शांति वार्ता की डोर अब पाक के हाथों में है। दरअसल तालिबान को परोक्ष रूप से पाकिस्तान का समर्थन मिलता रहा है। अफगानिस्तान भी इस बात को कई बार दोहरा चुका है कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद पर अपनी दोहरी नीति बदले तो यह शांति वार्ता अपने लक्ष्य तक पहुंच सकती है।
कमजोर नहीं हुआ है अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा से मिल रही है मदद

imran
अफगान सरकार से सीधी बातचीत

वहीं दूसरी तरफ तालिबान ने अफगान सरकार से सीधी बातचीत के लिए शर्त रख दी है। उसका कहना है कि जब तक अमरीका की सेना अफगानिस्तान से नहीं जाती तब तक वार्ता मुश्किल होगी। तालिबान अफगान सरकार के साथ किसी भी तरह की सीधी बातचीत नहीं करना चाहता। तालिबान ने अफगान सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के उस बयान को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि अगले दो हफ्तों के भीतर बैठक करने की योजना है।

2020 से पहले अफगानिस्तान में अमरीकी सैनिकों की संख्या कम करना चाहते हैं ट्रंप: माइक पोम्पियो

imran
मध्यस्थता की भूमिका अदा करे पाकिस्तान

गौरतलब है कि अफगान तालिबान पर पहले से ही कई आरोप लग चुके है कि वह पाक समर्थित है। ऐसे में अमरीका चाहता है कि पाकिस्तान इस वार्ता में मध्यस्थता की भूमिका अदा करे। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन के अनुसार वो लोग, जिनके पास तालिबान के खिलाफ कोई और सुबूत नहीं हैं, वही उनपर इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाएंगे। पाक से तालिबान को कोई मदद नहीं मिल रही। वहीं अमरीका के दौरे पर प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि उनसे कुछ माह पहले भी तालिबान का प्रतिनिधि मंडल मिलना चाहता था लेकिन अफगान सरकार की चिंता को देखकर उन्होंने ये वार्ता रद्द कर दी।

UN रिपोर्ट में चौंकानेवाला खुलासा, एक साल में मारे गए 12000 बच्चे

imran
अफगानिस्तान के पास एक मात्र विकल्प

इन परिस्थितियों में अमरीका और अफगानिस्तान के पास एक मात्र विकल्प पाकिस्तान है। वह इस वार्ता की रूपरेखा तय कर सकता है। अमरीका चाहता है कि उसके अफगानिस्तान से निकलने से पहले इस समस्या का हल हो जाए ताकि दोबारा से आतंकवाद से लड़ने के लिए उसे न आने पड़े। इसके साथ अमरीका अफगानिस्तान में अपना प्रभुत्व भी कायम करना चाहता है। अफगान सरकार में तालिबान की भागीदारी को भी वह कम रखना चाहता है। इस तरह से अफगानिस्तान के नियंत्रण की डोर उसके हाथ में ही होगी।

विश्व से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर ..

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो