
तालिबान का समर्थन करने वाले भारतीयों पर कार्रवाई
नई दिल्ली। तालिबान अमरीकी सेना द्वारा 20 वर्षों के बाद अफगानिस्तान छोड़ कर जाने का जश्न मना रहा है लेकिन जाते-जाते भी अमरीकी सेना तालिबान को बड़ा झटका दे गई है। अमरीका के सेंट्रल कमांड के मुखिया जनरल केनेथ मैकेंजी ने जानकारी देते हुए कहा है कि अमरीका ने अफगानिस्तान में मौजूद अपने सभी हाईटेक हथियारों को डिसेबल कर दिया है, ऐसा करने के बाद तालिबान उनका उपयोग नहीं कर पाएगा।
दरअसल, अमरीकी सेना ने अरबों-खरबों रूपए के हथियार, फाइटर प्लेन्स तथा अन्य व्हीकल्स अफगान सेना की सहायता के लिए दिए थे तथा खुद भी उनका उपयोग कर रही थी। अमरीकी सेना द्वारा देश छोड़ने के बाद इन हथियारों का उपयोग तालिबान द्वारा किए जाने की आशंकाएं थी। ऐसे में तालिबान के हाथों मिसयूज होने से रोकने के लिए अमरीकी सेना ने इन हथियारों को डिमिलिट्राइज कर दिया है।
जनरल केनेथ मैकेंजी ने बताया कि हामिद करजई एयरपोर्ट पर मौजूद 73 विमानों सहित अन्य सैकड़ों वाहनों को पूर्ण रूप से निष्क्रिय कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब इन विमानों को कभी भी नहीं उड़ाया जा सकेगा, न ही भविष्य में इनका कोई उपयोग हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि देश में 14 अगस्त को बचाव कार्य आरंभ करते समय यूएस ने लगभग छह हजार सैनिकों को काबुल एयरपोर्ट पर तैनात किया था। इसके साथ ही 70 MRAP बख्तरबंद व्हीकल्स तथा 27 'हमवीज' व्हीकल्स भी तैनात किए गए थे, इनमें से प्रत्येक की कीमत लगभग एक मिलियन डॉलर (10 लाख डॉलर) है। अमरीकी सेना द्वारा देश छोड़ते समय इन सभी वाहनों को डिसेबल कर पूरी तरह से निष्क्रिय कर दिया गया है।
मैकेंजी ने कहा कि अमरीका ने यहां रॉकेट, आर्टिलरी और मोर्टाररोधी C-RAM सिस्टम भी छोड़े हैं, इनका उपयोग काबुल एयरपोर्ट को तालिबान के संभावित हमले से बचाने के लिए किया गया था। इन्हीं की वजह से इस्लामिक स्टेट के हमलों के बावजूद भी एयरपोर्ट पूरी तरह सुरक्षित रहा। उन्होंने कहा कि मंगलवार को सभी अमरीकी सैनिकों की वापसी हो गई और वापस जाने से पहले इन सभी हथियारों को डिमिलिट्राइज कर उन्हें भविष्य में उपयोग लेने के लिए निष्क्रिय कर दिया गया।
Published on:
31 Aug 2021 12:12 pm
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