6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

World Tribal Day : विश्व आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है, क्या है वर्ष 2021 की थीम

World Tribal Day 2021: विश्व मे आदिवासी समुदाय की जनसंख्या लगभग 37 करोड़ है, जिसमें लगभग 5000 अलग–अलग आदिवासी समुदाय है और इनकी लगभग 7 हजार भाषाएं हैं। आदिवासी समाज के उत्थान और उनकी संस्कृति व सम्मान को बचाने के लिए हर साल 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (World Tribal Day) के तौर पर मनाया जाता है।

3 min read
Google source verification
world_aadiwasi_diwas.jpeg

World Tribal Day : why do we celebrate and the theme of 2021

नई दिल्ली। भारत समेत विश्व के कई देशों में आदिवासी जाति (World Tribal Day 2021) के लोग रहते हैं। इनका रहन-सहन, खान-पान और रीति-रिवाज और पहनावा आदि बाकी अन्य लोगों से अलग होता है। समाज के मुख्यधारा से कटे होने की वजह से दुनियाभर में आदिवासी लोग आज भी काफी पिछड़े हुए हैं।

हालांकि, समाज के मुख्यधारा से जोड़ने और आगे बढ़ाने के लिए देश-दुनिया में तमाम तरह के सरकारी कार्यक्रम और गैर-सरकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। भारत की बात करें तो देश की आजादी में आदिवासी समाज के लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आजादी की लड़ाई में बिरसा मुंडा ने झारखंड और छोटानागपुर क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाई थी।

क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस?

विश्व के लगभग 90 से अधिक देशों मे आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। दुनियाभर में आदिवासी समुदाय की जनसंख्या लगभग 37 करोड़ है, जिसमें लगभग 5000 अलग–अलग आदिवासी समुदाय है और इनकी लगभग 7 हजार भाषाएं हैं। इसके बावजूद आदिवासी लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। आज दुनियाभर में नस्लभेद, रंगभेद, उदारीकरण जैसे कई कारणों की वजह से आदिवासी समुदाय के लोग अपना अस्तित्व और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। झारखंड की कुल आबादी का करीब 28 फीसदी आदिवासी समाज के लोग हैं। इनमें संथाल, बंजारा, बिहोर, चेरो, गोंड, हो, खोंड, लोहरा, माई पहरिया, मुंडा, ओरांव आदि बत्तीस से अधिक आदिवासी समूहों के लोग शामिल हैं।

यह भी पढ़ें :- वंचित व आदिवासी समुदाय के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की कवायद, तमिलनाडु के तीस गांवों में देंगे ई-शिक्षा

यही कारण है कि आदिवासी समाज के उत्थान और उनकी संस्कृति व सम्मान को बचाने के अलावा आदिवासी जनजाति को बढ़ावा देने व उनको प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (World Tribal Day) के तौर पर मनाया जाता है।

इस दिन दुनियाभर में संयुक्त राष्ट्र और कई देशों की सरकारी संस्थानों के साथ-साथ आदिवासी समुदाय के लोग, आदिवासी संगठन सामूहिक समारोह का आयोजन करते हैं। इन कार्यक्रमों में विविध परिचर्चा और संगीत कार्यक्रम के अलावा अलग-अलग तरह के जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं।

क्या है आदिवासी दिवस 2021 की थीम? World Tribal Day 2021 Theme

विश्व आदिवासी दिवस 2021 की थीम है “किसी को पीछे नहीं छोड़ना: स्वदेशी लोग और एक नए सामाजिक अनुबंध का आह्वान”।

कब से मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस?

आपको बता दें कि पहली बार अमरीका में 1994 में आदिवासी दिवस मनाया गया था। इसके बाद से पूरे विश्व में 9 अगस्त को आदिवासी दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 1994 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष घोषित किया था।

यह भी पढ़ें :- आदिम जाति कल्याण मंत्री ने कहा- प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में निर्माण के कार्य समय पर पूरे हों

वहीं, 1995-2004 को पहला अंतर्राष्ट्रीय दशक घोषित किया गया था। इसके बाद UN ने वर्ष 2004 में “ए डिसैड फ़ॉर एक्शन एंड डिग्निटी” की थीम के साथ, 2005-2015 को दूसरे अंतर्राष्ट्रीय दशक की घोषणा किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 दिसंबर 1994 के संकल्प 49/214 द्वारा प्रतिवर्ष 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाए जाने का ऐलान किया। इसके बाद पहली बार पूरे विश्व में 9 अगस्त 1995 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया गया।

9 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है?

आपको बता दें कि विश्व आदिवासी दिवस मनाए जाने में अमरीका के आदिवासियों का महत्वपूर्ण योगदान है। चूंकि अमरीकी देशों में 12 अक्टूबर को हर साल कोलंबस दिवस मनाया जाता है। आदिवासियों का मानना था कि कोलंबस उस उपनिवेशी शासन व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसके लिए बड़े पैमाने पर जनसंहार हुआ था। लिहाजा, आदिवासियों ने मांग की कि अब कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाया जाए।

यह भी पढ़ें :- आदिवासी क्षेत्रों में एक लाख से अधिक बच्चों में फैलाया शिक्षा का उजाला

1977 में जेनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया , जहां पर कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाये जाने की मांग की गई | इसके बाद लगातार संघर्ष बढ़ता गया और फिर आदिवासी समुदाय ने 1989 से आदिवासी दिवस मनाना शुरू कर दिया गया। आगे जनसमर्थन मिलता गया और फिर 12 अक्टूबर 1992 को अमरीकी देशों में कोलंबस दिवस के स्थान पर आदिवासी दिवस मनाने की प्रथा शुरू हो गई।

बाद में संयुक्त राष्ट्र ने आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्यदल का गठन किया, जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को जेनेवा में हुई थी। इसी बैठक के स्मरण में 9 अगस्त की तारीख घोषित की गई।