
एक बेटी ने मां को घर में बंधक बनाकर दी ऐसी सजा, जानकर कांप जाएगी आपकी रूह
ओमपाल राजपूत/रामपुर. शहर की एक कलयुगी बेटी ने अपनी सगी मां को बिना किसी जुर्म के आजीवन कारावास की सजा सुना दी। जी, हां सुनने में भले आपको यह बात अटपटी लग रही हो, लेकिन यह बाद सौ फीसदी सच है । सजा सुनाने वाली लड़की आज हमारे कैमरे पर खुद बोलेंगी। ओर यह बतायेगी कि मेने बिना किसी जुर्म के अपनी मां को आजीवन कारावास की सजा क्यों सुनाई है और उनके अपने ही घर को जेल बना दिया है । जिसकी वजह से 75 साल की बूढ़ी मां बिना किसी जुर्म के सजा काटने को मजबूर हैं।
दरअसल, एक साल से ज्यादा समय से एक बूढ़ी मां अपने ही घर मे कैद है। इसकी जानकारी न तो ज़िले की इंटेलिजेंस एजेंसियों को है और न ही जिला प्रशासन को। अगर जिले के आला अधिकारियों को इसकी खबर है तो तो उस बूढ़ी मां को कैद खाने से क्यों बाहर नहीं नकाला गया। यह भी अपने आपमें एक बड़ा सवाल है।
पत्रिका संवाददाता को 'एक आस' नामक एनजीओ के सदस्यों ने बताया कि एक 75 साल की बूढ़ी मां को उसकी बेटी ने अपने मकान में कैद कर दिया है और खुद अपने पति के साथ अलग किराए के मकान में रहती हैं। ठीक साढ़े पांच से छे: बजे के बीच खाना खिलाने आती है और फिर ताला बंद कर मां को अकेला ही छोड़कर वापास चली जाती है। लेकिन बाकी घंटे महिला चाय पानी के अलावा तमाम खाने पीने की चीजें दरबाजे के अंदर से बोल-बोल कर स्थानीय लोगों से मांगती रहती है। लेकिन पड़ोसी चाह कर भी उसकी मदद नहीं कर पाते थे। लिहाजा, एक दिन बूढ़ी मां ने अपने हाथों से दरवाजे की चौखट से निकली नाली में लगी एक ईंट हटाकर उसी के सहारे वृद्धा नाली में हाथ डालकर कभी स्थानी लोगों से चाय मांगती हैं तो कभी पानी।
जब इस की सूचना 'एक आस' एनजीओ के सदस्यों को लगी तो इन लोगों ने पहले डीएम महेंद्र बहादुर सिंह को पूरे मामले की फोन पर सूचना दी, ताकि वह इस बूढ़ी माँ की मदद को आगे आएंगे, लेकिन उन्होंने पुलिस के अधिकारियों से बात कर लेने की सलाह देकर फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। इसके बाद जब पत्रिका संवाददाता ने जब सीओ से बात की तो उन्होंने कहा आप कोतवाली चले जाओ। यह कहकर उन्होंने भी फोन काट दिया। उसके बाद संवादाद ने तय किया अब खुद इस मामले की पड़ताल करेंगे। इस के बाद मामले की पड़ताल शुरू कर दी। इस दौरान जो कुछ देखने और सुनने को मिला उसे देखर हम भी दंग रह गए।
सांवाददाता ने देखा कि कोतवाली नगर इलाके के इन्छराम मोहल्ले में बंद कमान के दरबाजे के नीचे नाली से एक बुजुर्ग महिला का हाथ आ रहा है। महिला चाय और बिस्किट मांग रही है। मोहल्ले वाले भी उसे इसी गंदी नाली के जरिए खाने-पीने की चीजें मुहैया करा रहे थे। इस दौरान संवाददाता ने भी बूढ़ी मां को चाय और बिस्किट उसी नाली के रास्ते दिए, जिसे देखा जा सकता और सुना भी जा सकता है। इसके बाद सबसे पहले पत्रिका संवाददाता ने दरबाजे पर जब ताला लटका देखा तो तो दरनाजे के दोनों पटों के बीच की गैप में अपने मोबाइल के कैमरे का लेंस लगाकर इससे जो तस्वीरें ली, उसने हिला कर रख दिया। इस वीडियो को देखने के बादज संवाददाता ने वृद्धा से मिलने की ठान ली।
इसके बाद संवाददाता ने पड़ोसी के मकान की छत की सीढ़ियों का सहारा लेक र्बुजुग के मकान में प्रवेश किया। जहां पर मुझे काफी दिक्कतें आई, लेकिन आखिरकार वृद्धा तक पहुंच गया। यहां पहुंचने के बाद देखा कि कमरे में वृद्धा के लिए न तो कुछ ओढ़ने को था और न ही कुछ बिछाने के लिए। हद तो यह थी कि उसके तन पर कोई कपड़ा भी नहीं था। इसक ेबाद पत्रिका संवाददाता ने वहां पड़े पुराने कपड़े उठा कर बूढ़ी मां के तन पर लपेट दिया। इस दौरान देखा कि कमरे में नल भी लगा था, पानी की टंकी भी थी। बिजली कनेक्शन भी था, लेकिन न नल में पानी और न ही टंकी में पानी और न उजाले के लिए घर में एक बल्ब का ही इंतजाम था, और न ही गर्मी से निजात पाने के लिए कोई पंखे का इंतजाम था।
इस दौरान वृद्धा ने बताया कि मेरी बेटी ने पता नहीं, क्यों मुझे यहां बंधक बनाकर रख रखा है। यहां न तो पानी है ओर न ही खाने को कुछ। 24 घंटे में महज़ आधे घंटे के लिए मेरी बेटी आती है और फिर वापस चली जाती है। इसके बाद संवाददाता ने उनकी बेटी के आने का साढ़े पांच बजे का इंतजार किया। जैसे ही उनकी बेटी यहां आई और उसने जैसे ही मेन गेट खोला। संवाददाता ने उनसे कहा कि बेटी से अपनी मां को साफ कपड़े पहनाने को कहा। इसके बाद जब संवाददाता ने उनकी बेटी से उनके बारे में पूछा तो वह कुछ इस अंदाज में अपनी बेबसी जाहिर करने लगी। वृद्धा की बेटी शिखा ने बताया कि मैं गरीबी से परेशान हूं। मेरा न तो कोइ भाई है, न बेटा, सिर्फ मैं ही इनकी इकलौती बेटी हूँ। किराए के मकान में अपने सास-ससुर और पति के साथ रहती हूं। ससुर ने आदेश दे रखा है कि अगर बूढ़ी मां को यहां लाई तो तुझे भी निकाल दिया जाएगा। इसी डर से अपने साथ नहीं रखती हूं। बेटी ने कहा कि मुझे मालूम है ऐसा नही करना चाहिए। उसने बताया कि 6 महीनों से ज्यादा से लगातार कैद करके मेने रखा है। थोड़ी बीमार है, जिनका इलाज कराने में मैं असमर्थ हूं। मजबूरी में मैने ये कदम उठाया है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि किसी भी मजबूरी में अपनी मां को घर में कैद करना कहां तक उचित है।
Published on:
05 Jul 2018 04:51 pm
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