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सस्ती पकौड़ी पड़ी भारी! बच्चों से बुजुर्ग तक लगे अस्पताल की लाइन में, 100 से ज्यादा लोग हुए मरीज

Moradabad News: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में आयोजित फूलडोल मेले में पकौड़ी, टिक्की और जलेबी खाने से 100 से अधिक लोग फूड प्वॉइजनिंग का शिकार हो गए। ग्रामीणों को उल्टी-दस्त और पेट दर्द की शिकायत हुई, जबकि स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह बेखबर नजर आया।

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सस्ती पकौड़ी पड़ी भारी! AI Generated Image

Phooldol mela food poisoning in Moradabad: यूपी के मुरादाबाद जिले के कुंदरकी क्षेत्र के ग्राम शेखूपुर खास में आयोजित फूलडोल मेले का आनंद अचानक तब डरावना हो गया, जब चाट-पकौड़ी, समोसा, टिक्की और जलेबी खाने के बाद 100 से अधिक लोग बीमार पड़ गए। देर रात ग्रामीणों को उल्टी-दस्त और पेट दर्द की शिकायतें हुईं, जिसके बाद लोग इलाज के लिए अस्पताल और निजी डॉक्टरों के पास पहुंचे।

घटिया खाद्य सामग्री बनी बीमारी की वजह

ग्रामीणों का आरोप है कि मेले में बेची जा रही पकौड़ियां और अन्य खाद्य सामग्री घटिया तेल में बनी थीं। खासकर एक दुकानदार ने मात्र 60 रुपये किलो की पकौड़ी बेचनी शुरू की थी, जिसे खरीदकर कई ग्रामीण बीमार हुए। माना जा रहा है कि सस्ता और घटिया तेल साथ ही चटनी में मिले अरारोट ने फूड प्वॉइजनिंग का खतरा बढ़ाया।

प्रभावित गांवों में मचा हड़कंप

बीमारी का असर केवल शेखूपुर खास तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि सराय पंजू, चितेरी, रायबनगला और कादलपुर मस्ती गांवों के लोग भी इसकी चपेट में आए। महिलाओं और बच्चों की हालत ज्यादा खराब बताई जा रही है। ग्रामीण रात भर उल्टी-दस्त और पेट दर्द से परेशान रहे।

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर

चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग बीमार होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह बेखबर नजर आया। सीएचसी कुंदरकी के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. नवल किशोर ने बयान दिया कि उनके पास कोई मरीज नहीं आया है। फिलहाल आशा कार्यकर्ताओं से रिपोर्ट ली जा रही है और स्वास्थ्य टीमों को गांव भेजने की तैयारी की जा रही है।

निजी डॉक्टरों पर निर्भर ग्रामीण

सरकारी लापरवाही के कारण पीड़ितों को निजी डॉक्टरों के यहां इलाज कराना पड़ रहा है। शेखूपुर खास निवासी रमेश कुमार और उनका बेटा अभिषेक निजी अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि सराय पंजू गांव की रिया, उजाला, डोली, सुधा, अश्विन और कई अन्य लोग भी इलाज करा रहे हैं। बच्चों की हालत सबसे गंभीर बताई जा रही है।

खाद्य सुरक्षा विभाग पर उठे सवाल

इस पूरे मामले ने खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मेलों में बिकने वाली खाद्य सामग्री पर कोई निगरानी नहीं रहती, जिसकी वजह से घटिया और अस्वास्थ्यकर खाने की वस्तुएं खुलेआम बेची जाती हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि विभाग समय पर जांच करता तो इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान खतरे में नहीं पड़ती।


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