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Pitru paksha 2018: जानिए कब से हैं पितृ पक्ष और क्या है विधि

locationमुरादाबादPublished: Aug 30, 2018 07:47:13 pm

Submitted by:

jai prakash

जो व्यक्ति पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण नहीं करता उसको पितृ दोष लगता है। इस वर्ष पितृ पक्ष 24 सितम्बर से शुरू हो रहे हैं।

moradabad

Pitru paksha 2018: जानिए कब से हैं पितृ पक्ष और क्या है विधि

मुरादाबाद: हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इन दिनों अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और उनकी आत्मा की शांति के श्राध करते हैं। कहते हैं कि जो व्यक्ति पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण नहीं करता उसको पितृ दोष लगता है। इस वर्ष पितृ पक्ष 24 सितम्बर से शुरू हो रहे हैं। पितृ पक्ष के दौरान कैसे पूजा करें और क्या विधि विधान का पालन करें इसके लिए टीम पत्रिका ने महानगर के वरिष्ठ ज्योतिषी पंकज वशिष्ठ से चर्चा की। जिसमें उन्होंने विस्तार से जानकारी दी।

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ज्योतिष पंकज वशिष्ठ के मुताबिक वर्ष 2018 में पितृ-पक्ष 24 सितंबर 2018 सोमवार से शुरू हो रहा है और यह 8 अक्टूबर 2018 सोमवार तक रहेगा।

 

उन्होंने बताया कि अपने पूर्वजों की पूण्यतिथि के हिसाब से पितृ विसर्जन करें। इसमें अपने पूर्वजों को याद करने के साथ उनके पसंद के व्यंजन बनाकर कौए को खिलाएं या फिर ब्राह्मण को भोग लगवाएं। आपके पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगे। आपके जीवन की कठिनाइयां भी दूर होंगी।

यही नहीं उन्होंने बताया कि इन दिनों नया कार्य या नये वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए। एक तरीके से ये धर्म में शोक का पक्ष कहलाता है। इसका भी ध्यान रखें तो ज्यादा बेहतर रहेगा।

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इस तरह रहेगा श्राद्ध पक्ष

24 सितंबर 2018 सोमवार पूर्णिमा श्राद्ध
25 सितंबर 2018 मंगलवार प्रतिपदा श्राद्ध
26 सितंबर 2018 बुधवार द्वितीय श्राद्ध
27 सितंबर 2018 गुरुवार तृतीय श्राद्ध
28 सितंबर 2018 शुक्रवार चतुर्थी श्राद्ध
29 सितंबर 2018 शनिवार पंचमी श्राद्ध
30 सितंबर 2018 रविवार षष्ठी श्राद्ध
1 अक्टूबर 2018 सोमवार सप्तमी श्राद्ध
2 अक्टूबर 2018 मंगलवार अष्टमी श्राद्ध
3 अक्टूबर 2018 बुधवार नवमी श्राद्ध
4 अक्टूबर 2018 गुरुवार दशमी श्राद्ध
5 अक्टूबर 2018 शुक्रवार एकादशी श्राद्ध
6 अक्टूबर 2018 शनिवार द्वादशी श्राद्ध
7 अक्टूबर 2018 रविवार त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध
8 अक्टूबर 2018 सोमवार सर्वपितृ अमावस्या, महालय अमावस्या

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पितृ अमावस्या
पितृ पक्ष के सबसे आखिरी दिन को पितृ अमावस्या या महालय अमावस्या भी कहते हैं। इसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। क्योंकि इस दिन उन सभी मृत पूर्वजों का तर्पण करवाते हैं, जिनका किसी न किसी रूप में हमारे जीवन में योगदान रहा है। इस दिन उनके प्रति आभार प्रक्रट करते हैं और उनसे अपनी गलतियों की माफी मांगते हैं।इस दिन किसी भी मृत व्यक्ति का श्राद्ध किया जा सकता है। खासतौर से वह लोग जो अपने मृत पूर्वजों की तिथि नहीं जानते, वह इस दिन तर्पण करा सकते हैं।

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इसके साथ ही उन्होंने श्राद्ध करने के सही वक्त भी बताया है। ताकि लोगों को आसानी रहे।

 

ये है सही समय

कुतुप मुहूर्त : 11:48 से 12:36 तक
रौहिण मुहूर्त : 12:36 से 13:24 तक
अपराह्न काल : 13:24 से 15:48 तक

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