रामपुर। सरकारी स्कूलों की खराब बिल्डिंग्स को लेकर जहां सरकार और सरकारी तंत्र बजट का रोना रोते रहते हैं, वहीं रामपुर के बेसिक स्कूल में पढ़ाने वाली एक शिक्षिका ऐसी भी हैं, जिन्होंने बेसिक स्कूल की खराब बिल्डिंग्स को ट्रेन की बाेगियों की तरह बना दिया। इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए अपनी सैलरी भी लगा दी। अब हालत यह है कि पढ़ाई में रुचि न लेने वाले बच्चे भी रोज स्कूल पहुंच रहे हैं। फिलहाल स्कूल में 200 बच्चे हैं।
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डीएम भी कर चुके हैं सराहना
स्कूल की बिल्डिंग का नजारा बदलने के बाद यहां पढ़ने वाले छात्र छत्राओं की संख्या भी बढ़ी है। अभिभावक भी इस शिक्षिका के सराहनीय काम को लेकर तारीफ करते नहीं थकते हैं। डीएम महेंद्र बहादुर भी इस स्कूल को देखकर शिक्षिका के सराहनीय कदम की तारीफ कर चुके हैं।
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ट्रेन की बोगियों काे दिया रूप
रामपुर मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर सैदनगर ब्लाॅक के गांव लालपुर कला में यह बेसिक स्कूल स्थित है। इसे पूरी तरह से ट्रेन की बोगियों का रूप दिया गया है। इसका नाम भी लालपुर कला एक्सप्रेस है। इसमें बच्चे शिक्षा अर्जित करते हैं। इसी एक्सप्रेस में एक बाेगी लाइब्रेरी की है। वहां पर बच्चों के लिए खिलौने, कहानियों की किताबें और अन्य रोचक ज्ञानवर्धक किताबें रखी हुई हैं।
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गूगल पर दिखा था ऐसा स्कूल
स्कूल का कायाकल्प करने वाली शबनम आरा कहती हैं कि साल 2009 में उनकी नियुक्ति हुई थी। 9 जनवरी 2015 में उनका प्रमोशन हुआ और इस स्कूल में सहायक प्रिंसिपल की जिम्मेदारी मिली। उस समय स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हाल में थी। उन्हें नहीं लगता था कि यहां पर छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ेगी। इसके बाद उन्होंने बच्चों की संख्या बढ़ाने के बारे में सोचा। इसके लिए उनके दिमाग में बिल्डिंग को कुछ अलग रूप देने का आइडिया आया। उन्होंने गूगल पर एक एक्सप्रेस की शक्ल का स्कूल देखा था, जिसे देखकर उन्होंने काम शुरू करवाया। स्कूल का गेटअप बदलने पर यहां छात्र-छात्राओं की संख्या भी बढ़ गई। जिले के अफसर भी उनके कार्यों से बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा कि इस स्कूल की सूरत बदलने में उन्हें अपनी सैलरी भी इसमें लगानी पड़ी। बच्चों के लिए किताबें भी वे घर से लेकर आईं।
ये हैं समस्याएं
शबनम आरा का कहना है कि इसके समय उनके स्कूल में 200 बच्चे हैं। उनके यहां पांच क्लास में तीन शिक्षामित्र हैं, जो अब चले जाएंगे। उनके आदेश आ गए हैं। इसके बाद वह अकेले रह जाएंगी। वह कुछ और शिक्षकों के लिए अधिकारियों से बात करेंगी। इसके अलावा उन्होंने यहां पर पानी की समस्या भी उठाई। उनका कहना है कि स्कूल में केवल एक हैंडपंप है। लंच् के समय बच्चों को पानी पीने में काफी दिक्कत होती है। वह अधिकारियों से इसे सुलझाने की बात करेंगी।