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Maharashtra: मालेगांव ब्लास्ट केस का 33वां गवाह पलटा, कोर्ट में बोला- अपनी मर्जी से नहीं दिया था बयान

Malegaon Blast Case Witness Turned Hostile: मालेगांव ब्लास्ट मामले में अदालत ने अब तक तीन सौ से ज्यादा गवाहों का परीक्षण किया है। इस मामले में भोपाल से बीजेपी (BJP) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी आरोपी हैं।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Apr 03, 2023

2008_malegaon_blast case

मालेगांव धमाका मामले का एक और गवाह मुकरा

2008 Malegaon Blast News: महाराष्ट्र (Maharashtra) के साल 2008 के मालेगांव विस्फोट (2008 Malegaon Blast) मामले में एक और गवाह अपने बयान से मुकर गया। सोमवार को एक विशेष अदालत के सामने मामले की सुनवाई के दौरान संबंधित गवाह ने कहा कि उसने अपनी मर्जी से कोई बयान नहीं दिया था।

मिली जानकारी के मुताबिक, अपने बयान से पलटने वाला गवाह मामले के आरोपी सुधाकर द्विवेदी (Sudhakar Dhar Dwivedi) उर्फ दयानंद पांडेय (Dayanand Pandey) उर्फ शंकराचार्य (Shankaracharya) के बारे में बयान देने वाला था। लेकिन उसने विशेष एनआईए अदालत में स्वेच्छा से महाराष्ट्र पुलिस या आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) को कोई बयान देने से साफ इनकार कर दिया। जिसके बाद अदालत ने उसे बयान से मुकरा हुआ गवाह घोषित कर दिया। वह इस मामले में बयान से मुकरने वाला 33वां गवाह बन गया है। यह भी पढ़े-शिवसेना नेता दीपाली सय्यद के पास है पाकिस्तान की नागरिकता? पूर्व पीए ने किया सनसनीखेज दावा

मालेगांव ब्लास्ट मामले में अदालत ने अब तक तीन सौ से ज्यादा गवाहों का परीक्षण किया है। इस मामले में भोपाल से बीजेपी (BJP) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर प्रमुख अभियुक्तों में से एक हैं।

मालूम हो कि 29 सितंबर 2008 को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में बंधे विस्फोटक में धमाका होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। उत्तर महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर माना जाता है।


मामले में कौन है आरोपी?

बीजेपी नेता प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (रिटायर्ड), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी को मामले में आरोपी बनाया गया है। सभी वर्तमान में जमानत पर हैं। आरोपियों की दलील है कि उन्हें इस मामले में जबरन फंसाया गया है। आरोपियों ने दावा किया कि उन्हें राजनीतिक द्वेष की भावना से इस अपराध में शामिल बताया गया।

इस मामले की जांच की अगुवाई पूर्व एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) प्रमुख हेमंत करकरे कर रहे थे, लेकिन मालेगांव बम विस्फोट की गुत्थी सुलझने से पहले ही करकरे 26/11 मुंबई आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के जांच अपने हाथ में लेने से पहले महाराष्ट्र एटीएस ने शुरू में मालेगांव ब्लास्ट मामले की जांच की थी।