महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों बड़ी हलचल मची हैं। जल्द ही स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा हो सकती है। इसी कारण से राजनीतिक हलकों में बैठकों का दौर तेज हो गया है और दलबदल भी खूब हो रहें है। सबसे ज्यादा नुकसान विपक्षी गठबंधन महविकास आघाड़ी (MVA) के घटक दलों को होता दिख रहा है। खासकर उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (यूबीटी) के कई बड़े नेता बीजेपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए हैं।
पिछले कुछ दिनों में उद्धव ठाकरे गुट में लगातार टूट देखी जा रही है। स्थानीय निकाय चुनावों की पृष्ठभूमि में कई पूर्व विधायक, पार्षद और पदाधिकारी शिंदे की शिवसेना में शामिल हो चुके हैं। आने वाले समय में कुछ सांसदों के भी उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इस बीच अजित पवार की एनसीपी ने भी उद्धव खेमे में बड़ी सेंध लगाई है।
रायगढ़ जिले के श्रीवर्धन विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता तुकाराम सुर्वे ने अजित पवार की एनसीपी का दामन थाम लिया है। उनके इस फैसले को आगामी स्थानीय चुनावों से पहले एक अहम सियासी कदम माना जा रहा है।
एनसीपी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और सांसद सुनील तटकरे ने तुकाराम सुर्वे का पार्टी में गर्मजोशी से स्वागत किया। तटकरे ने इस मौके को अपने राजनीतिक जीवन का स्वर्णिम अध्याय बताया। उन्होंने कहा, श्रीवर्धन क्षेत्र 1995 से शिवसेना का गढ़ रहा है। लेकिन हमारे बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता रही, लेकिन कभी व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी। 2009 में मैंने यहां से चुनाव जीता, लेकिन सुर्वे की अपनी पार्टी के प्रति निष्ठा के कारण उस समय मुझे अपेक्षाकृत कम वोट मिले थे।
तुकाराम सुर्वे 2005 में कोंकण क्षेत्र के श्रीवर्धन से पहली बार विधायक बने थे। हालांकि 2009 में उन्हें तटकरे के हाथों हार का सामना करना पड़ा। 2022 में शिवसेना के दो गुट होने के बाद उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) के साथ रहना चुना था। लेकिन अब उनका एनसीपी में जाना उद्धव गुट के लिए एक और बड़ा झटका माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तुकाराम सुर्वे का यह कदम न सिर्फ श्रीवर्धन में बल्कि कोंकण क्षेत्र में भी सियासी समीकरण प्रभावित कर सकता है।
Updated on:
19 Jun 2025 10:08 pm
Published on:
19 Jun 2025 10:07 pm