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Maharashtra Politics: शिंदे के ‘गढ़’ में BJP-शिवसेना में ठनी? विपक्ष को भी लगेगा जोर का झटका

BJP-Shiv Sena Battle in Thane : बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन नहीं हुआ तो ठाणे में मुकाबला बेहद रोचक होगा और दो सत्तारूढ़ दलों में सीधी टक्कर हो सकती है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Apr 06, 2025

Eknath Shinde Devendra Fadnavis

शिवसेना प्रमुख व महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गढ़ माने जाने वाले ठाणे में टक्कर देने के लिए बीजेपी ने जोरदार तैयारी शुरू की है। मंत्री गणेश नाईक के नेतृत्व में बीजेपी ने मोर्चा संभालते हुए राजनीतिक समीकरणों को बदलने की कोशिशें तेज कर दी हैं। वहीं, एकनाथ शिंदे खेमे ने भी नवी मुंबई में बीजेपी नेता नाईक के प्रभाव वाले क्षेत्रों में उद्धव ठाकरे गुट के प्रभावशाली पूर्व नगरसेवकों को अपने पाले में लाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी की नजर अब ठाणे महापालिका चुनावों पर है। यहां अगर शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी के बीच गठबंधन नहीं हुआ तो शिंदे को टक्कर देने के लिए बीजेपी एक मजबूत रणनीति बना रही है। इसके तहत बीजेपी ने एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड के समर्थक नगरसेवकों को साधने की कोशिश शुरू कर दी है।

कलवा, विटावा, मुंब्रा और दिवा के निकटवर्ती क्षेत्र में शरद पवार गुट के कद्दावर नेता जितेंद्र आव्हाड का मजबूत जनाधार है। 2017 के महापालिका चुनाव में ठाणे की कुल 131 सीटों में से 39 सीटें कलवा-मुंब्रा क्षेत्र से आती हैं। 2017 के ठाणे महापालिका चुनाव में अविभाजित शिवसेना ने 67 सीटें, अविभाजित एनसीपी ने 34 सीटें और बीजेपी ने 23 सीटें जीती थीं। अब बीजेपी की रणनीति इन समीकरणों को बदलने की है, क्योंकि दोनों ही दल अब दो धड़ों में बंट चुके है।

यह भी पढ़े-Maharashtra Politics: डूब गये अहंकार में सारे, अब तो सुधर जाओ… उद्धव ठाकरे को एकनाथ शिंदे की नसीहत

बताया जा रहा है कि बीजेपी ने कलवा-मुंब्रा क्षेत्र में आव्हाड समर्थक एनसीपी के 18 नेताओं को अपने साथ जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है। कुछ नेताओं की राज्य स्तर के बीजेपी नेताओं के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं। सूत्रों के अनुसार, सत्ता से बाहर होने के कारण आव्हाड समर्थक नगरसेवक असहज महसूस कर रहे हैं। विकास कार्यों के लिए फंड की कमी और प्रशासनिक सहयोग न मिलने की वजह से कई पूर्व नगरसेवक सत्ता पक्ष में जाने के मूड में हैं।

बीजेपी की रणनीति तैयार

ठाणे शहर, कोपरी-पाचपाखाडी, ओवला-माजीवाडा विधानसभा क्षेत्रों में शिंदे की जबरदस्त पकड़ है। जबकि ओल्ड ठाणे में बीजेपी मजबूत है। वागले इस्टेट के आस-पास के क्षेत्र में तो शिंदे के विरोधियों की एक नहीं चलती है। ऐसे में बीजेपी के लिए जमीन बनाना मुश्किल है। इसी वजह से बीजेपी ने वैकल्पिक रणनीति के तहत आव्हाड के गढ़ कलवा-मुंब्रा में सक्रियता बढ़ाई है। इस क्षेत्र से एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे लोकसभा सांसद है। इसलिए शिंदे गुट भी इन क्षेत्रों में पूर्व नगरसेवकों को अपने साथ जोड़ने के प्रयास कर रहा है, जिससे बीजेपी और शिंदे गुट के बीच सीधी खींचतान होना तय है।

ठाणे में गरमाई सियासत

महापालिका चुनावों की आहट के साथ ही ठाणे की राजनीति में जबरदस्त हलचल मच गई है। एक ओर बीजेपी शिंदे के गढ़ को कमजोर करने में जुटी है, वहीं शिंदे गुट भी बीजेपी नेताओं के प्रभाव वाले क्षेत्रों में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इस सियासी शतरंज में आव्हाड के समर्थक नगरसेवक निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

अगर बीजेपी और शिंदे गुट के बीच गठबंधन नहीं हुआ तो ठाणे में मुकाबला बेहद रोचक होगा और दो सत्तारूढ़ दलों में सीधी टक्कर हो सकती है। फिलहाल दोनों पक्षों की नजरें महापालिका चुनावों से पहले ज्यादा से ज्यादा स्थानीय नेताओं को अपने पाले में खींचकर चुनावी ताकत बढ़ाने टिकी हुई हैं। इसलिए बीजेपी और शिंदे सेना के संघर्ष का सीधा असर नवी मुंबई में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) पर और ठाणे खासकर कलवा में जितेंद्र आव्हाड पर पड़ने की संभावना है।