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(मुम्बई): महानगर पालिका की स्थायी समिति में शुक्रवार को शौचालय के मुद्दे पर कांग्रेस, भाजपा और सपा ने सत्तारूढ़ शिवसेना को कठघरे में खड़ा किया। स्वच्छ भारत के नाम पर भाजपा के राज करने के सपा पार्षद के आरोप पर भाजपा पार्षदों ने कड़ा प्रतिवाद किया। समिति अध्यक्ष ने शौचालय निर्माण में देरी पर अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई, फिर टेंडर अवधि को बढ़ाने की मंजूरी दी।
मुम्बई महानगर को दो साल पहले ही खुले में शौचालय मुक्त घोषित किया गया है, लेकिन सार्वजनिक शौचालयों की कमी के कारण झोपड़पट्टियों में रहने वाले अभी भी रेलवे पटरी, एवं अन्य खुले स्थानों पर शौच करने के लिए मजबूर हैं। स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण का ठेका दिया गया था, जिसमे 38 पॉकेट्स में 22700 शौचालय बनाने थे। ठेके की अवधि पूरा होने के बाद भी बीएमसी को सिर्फ 15 पोस्ट्स में ठेकेदारों से रेस्पांस मिले, इनमे भी कई सिंगल टेंडर है। विपक्ष के रईस शेख ने बताया कि बीएमसी डेढ़ साल से इसकी कवायद कर रही है तो अभी बनने में भी डेढ़ साल लगेंगे।
शुक्रवार को समिति में कालावधि बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया था, जिसे आखिरकार मंजूरी दे दी गई। इसके अलावा मुंबई की झोपड़पट्टियों के पास म्हाडा की तरफ से निर्मित लगभग 70 हजार शौचालयों को मनपा अपने अधिकार में लेगी।
मुंबई के अधिकांश सार्वजनिक शौचालय जर्जर हो गए हैं और खतरनाक स्थिति में हैं। हाल ही में म्हाडा व मनपा अधिकारियों की संयुक्त बैठक हुई थी,जिसमें सभी शौचालयों को स्वच्छ भारत मुहिम से जोड़ना तय हुआ था। म्हाडा की तरफ से मुंबई में 88 हजार शौचालयों (सीट्स) का निर्माण किया गया है, जिसमें से जी-दक्षिण एवं एफ-दक्षिण वार्ड के तीन हजार टॉयलेट मनपा ने अपने कब्जे में लिया है। 70 हजार टॉयलेट को कब्जे में लेने से मनपा ने इंकार कर दिया था। मनपा की तरफ से कहा गया था कि म्हाडा पहले शौचालयों की मरम्मत करे उसके बाद मनपा उसे अपने अधिकार में लेगी। इसकी वजह से इन शौचालयों में मनपा की तरफ से बिजली एवं पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही थी। जिसकी वजह से इन शौचालयों का उपयोग नहीं होने की जानकारी सामने आई है।
बताया गया कि म्हाडा के 9 ,450 शौचालय खस्ताहालत में हैं, जबकि 1,550 शौचालयों को झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना के तहत तोड़ दिया गया है। शौचालयों का निर्माण करने के बाद म्हाडा उनकी देखभाल नहीं करती है,जबकि मनपा की तरफ से निर्मित शौचालयों का रख रखाव निजी संस्थाओं के मार्फत किया जाता है। अनेक झोपड़पट्टी इलाकों में विधायक निधि से म्हाडा शौचालयों का निर्माण तो करती है लेकिन उसका उपयोग नहीं होता है।
Published on:
20 Oct 2018 02:31 pm
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