
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Photo: FB)
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के लाखों किसानों को बड़ी राहत दी है। किसानों की लंबे समय से चली आ रही कर्जमाफी की मांग को आखिरकार स्वीकार कर लिया गया है। इसके लिए सरकार ने एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया है, जो किसानों की कर्जमुक्ति के लिए अल्पकालीन और दीर्घकालीन सिफारिशें तैयार करेगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि अगले साल 30 जून तक किसानों की कर्जमाफी पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा। सरकार के इस कदम से राज्य भर के किसानों में खुशी की लहर है।
मुंबई में दोनों डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार की मौजूदगी में सीएम देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को अहम बैठक की। इसके बाद उन्होंने कहा, "हमारी महाराष्ट्र सरकार ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि वह किसानों का कर्ज़ माफ़ करेगी। हमने आज इस पर फैसला ले लिया है। हमने कर्ज़ माफ़ी कैसे की जाए और इसके मानदंड क्या हैं, इस पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक समिति बनाई है। यह समिति इसकी समीक्षा करेगी और 1 अप्रैल तक हमें रिपोर्ट सौंपेगी। उसके बाद 3 महीने के भीतर, यानी 30 जून से पहले, हम उस रिपोर्ट के आधार पर किसानों का कर्ज़ माफ कर देंगे।"
बता दें कि यह कदम किसान नेता और विधायक बच्चू कडू के हालिया आंदोलन के बाद उठाया गया है। कडू के नेतृत्व में हजारों किसान सड़कों पर उतर आए थे और ट्रैक्टर मार्च निकालकर सरकार से कर्ज माफी समेत अन्य वादे पूरे करने की मांग कर रहे थे। आंदोलन के दबाव के बाद सरकार को किसानों के मुद्दों पर ठोस कदम उठाने पड़े। हालांकि, बच्चू कडू ने कहा कि वह सरकार के इस फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं।
यह समिति किसानों की आर्थिक स्थिति और मौजूदा कर्ज व्यवस्था का विस्तृत अध्ययन करेगी और आगामी योजनाओं का खाका पेश करेगी। सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इस समिति की अध्यक्षता मुख्यमंत्री के प्रमुख आर्थिक सलाहकार और मित्रा समूह के सीईओ प्रवीण परदेशी करेंगे। समिति में कुल नौ सदस्य होंगे, जिनमें महसूल, वित्त, कृषि, सहकार और विपणन विभागों के अपर मुख्य सचिव शामिल हैं। इसके अलावा, महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के प्रतिनिधियों को भी समिति का हिस्सा बनाया गया है।
सरकार ने समिति को छह महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। समिति किसानों की कर्जमुक्ति के लिए ठोस सिफारिशें तैयार करेगी और यह देखेगी कि राहत योजनाएं प्रभावी और दीर्घकालिक कैसे बनाई जा सकती हैं।
गौरतलब है कि बच्चू कडू के आंदोलन ने राज्यभर में गति पकड़ी थी। किसानों की प्रमुख मांगों में पूर्ण कर्जमाफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, सोयाबीन की खरीद एनएएफईडी के माध्यम से करवाना और भावांतर योजना को लागू करना शामिल है।
सरकार का यह कदम किसानों के बीच राहत की उम्मीद जगाता है, हालांकि अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि समिति अपनी रिपोर्ट में क्या सुझाव देती है और सरकार कर्जमाफी पर मुहर कब लगाती है।
Updated on:
31 Oct 2025 02:04 pm
Published on:
31 Oct 2025 01:59 pm
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