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Breaking: 23 स्कूलों की मान्यता रद्द, सरकार के फैसले से हजारों छात्रों और अभिभावकों में हड़कंप

Maharashtra News: सरकारी योजना का उद्देश्य छात्रों को निशुल्क आवास और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना था, लेकिन हकीकत में कई जगह केवल कागजों पर स्कूल और बच्चे दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट की जा रही थी।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Sep 07, 2025

Maharashtra government school

महाराष्ट्र के 394 स्कूलों में पढ़ते है शून्य छात्र (AI Image)

महाराष्ट्र सरकार ने धनगर समुदाय (Dhangar Community School) के छात्रों के लिए चलाए जा रहे 23 अंग्रेजी माध्यम आवासीय विद्यालयों की मान्यता रद्द कर दी है। यह कदम कथित अनियमितताओं के सामने आने के बाद उठाया गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इनमें से 20 विद्यालय जालना जिले में, दो बीड में और एक छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित हैं।

इन स्कूलों की शुरुआत वर्ष 2024 में राजे यशवंतराव होल्कर अंग्रेजी माध्यम आवासीय शिक्षा योजना के तहत हुई थी। योजना का उद्देश्य विद्यार्थियों को निशुल्क आवास, भोजन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना था। शुरुआत में 5,500 छात्रों को इसमें दाखिला दिया गया था और लक्ष्य हर साल 10,000 नए छात्रों को जोड़ने का रखा गया था।

लेकिन विभागीय कर्मचारियों द्वारा 11 से 14 जुलाई के बीच किए गए निरीक्षण में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। अधिकारी ने बताया कि कई विद्यालयों ने सरकारी अनुदान लेने के बावजूद छात्रों को न तो उचित आवास दिया और न ही भोजन जैसी बुनियादी सुविधाएं। यह मामला तब उजागर हुआ जब अंबड के सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश काले और सोमनाथ काले ने विभाग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई।

इसके बाद अन्य पिछड़ा बहुजन कल्याण विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए एक सितंबर को 23 स्कूलों की मान्यता रद्द करने का आदेश जारी किया। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रभावित विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाएगा। उन्हें नजदीकी अन्य मान्यता प्राप्त स्कूलों में समायोजित किया जाएगा ताकि उनकी पढ़ाई बाधित न हो।

यह फैसला जहां शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अहम माना जा रहा है, वहीं हजारों छात्रों और उनके अभिभावकों में इसे लेकर चिंता भी बढ़ गई है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार प्रभावित बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कब और कैसे करती है।

इस योजना का उद्देश्य छात्रों को निशुल्क आवास और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना था, लेकिन हकीकत में कई जगह केवल कागज़ों पर स्कूल और छात्र दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट की जा रही थी। इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच जारी है।