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महाराष्ट्र में अपनी ही सरकार के खिलाफ मंत्री ने खोला मोर्चा, मुख्यमंत्री के फैसले को कोर्ट में देंगे चुनौती

महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी आरक्षण को लेकर बहस तेज हो गई है। मनोज जरांगे के नेतृत्व में मुंबई के आजाद मैदान में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण के संबंध में सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Sep 08, 2025

Devendra Fadnavis Maharashtra

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

ओबीसी कोटे में मराठाओं को आरक्षण देने की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटील ने हाल ही में मुंबई के आजाद मैदान में पांच दिन तक अनशन किया। जिसके चलते फडणवीस सरकार ने मराठा आरक्षण लागू करने के लिए हैदराबाद गजट लागू करने की घोषणा की। इससे मराठाओं को कुनबी श्रेणी के तहत ओबीसी आरक्षण का फायदा मिल सके। सरकार के इस निर्णय से ओबीसी समाज नाराज हो गया। इसी पृष्ठभूमि में अब मंत्री छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal Maratha Reservation Protest) ने इससे जुड़े जीआर के खिलाफ आवाज उठाते हुए अपनी ही सरकार को अदालत में घसीटने का फैसला किया है।

जानकारी के मुताबिक, ओबीसी नेता भुजबल की ओर से आने वाले दो दिनों में बॉम्बे हाईकोर्ट में मराठा समाज के लिए जारी किए गए इस जीआर के खिलाफ याचिका दायर की जाएगी। एक दिन पहले ही राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने ओबीसी नेताओं द्वारा मराठा आरक्षण के 'जीआर' के खिलाफ कोर्ट जाने को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि इस मुद्दे पर वे छगन भुजबल से बात करेंगे। उन्होंने कहा, व्यक्तिगत रूप से बयान देना उनके अधिकार क्षेत्र में है। मैं छगन भुजबल से कैबिनेट सब कमेटी में बात करुंगा और उनकी बातें सुनने वाला हूं।

ओबीसी नेताओं का कहना है कि मराठाओं को कुनबी बनाकर आरक्षण देने से उनके हक पर असर पड़ेगा। हालांकि, सरकार का कहना है कि उसने सभी समुदायों के हितों को ध्यान में रखकर ही हैदराबाद गजट को लागू किया है।

बता दें कि 3 सितंबर को ओबीसी के हितों को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने नई उप-समिति का गठन किया था। इस नई उप-समिति की कमान भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले को सौंपी गई थी। समिति में कुल 8 सदस्य- भाजपा से 4, शिवसेना से 2 और एनसीपी से 2 सदस्य शामिल हैं। इस समिति के सदस्यों में एनसीपी अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल भी शामिल हैं।

मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में मुंबई के आजाद मैदान में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद 2 सितंबर को महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर नया जीआर जारी किया था, जिसके तहत मराठा समुदाय के पात्र व्यक्तियों को 'कुनबी', 'मराठा-कुनबी' या 'कुनबी-मराठा' के रूप में जाति प्रमाणपत्र जारी करने की स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित की गई थी। बता दें कि कुनबी कृषि प्रधान समुदाय है, जो ओबीसी श्रेणी में शामिल है। ओबीसी श्रेणी में शामिल होने से मराठों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का फायदा मिलेगा।