अधिकारी ने आगे बताया कि इन आरोपित ने दावा किया कि वे राज्य सरकार के ई-पोर्टल की एक फ्रेंचाइजी की शुरूआत करना चाहते थे। इन आरोपितों ने जिग्नेश गोपानी को एक पार्टनरशिप सौदे की बात की और उनसे बतौर फीस एक लाख रुपये की मांग की। दोनों ने गोपानी से करीब 1,31,75,104 रुपये वसूल लिए।
बता दें कि 25 अगस्त को इन दोनों आरोपित ने जिग्नेश गोपानी को ई-पोर्टल फ्रेंचाइजी मिलने के लिए परमिट, लाइसेंस, और अन्य शुल्क के लिए भुगतान की गई राशि के लिए पेमेंट स्लीप भी दी। इन दोनों आरोपितों ने जिग्नेश गोपानी को बताया कि यह राज्य के आबकारी विभाग द्वारा जारी किया गया था। पेमेंट स्लीप पर राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे का नाम इंग्लिश में उनके सिग्नेचर के साथ टाइप किया गया था।
इस मामले में वालिव पुलिस थाने के अधिकारी ने बताया कि गोपानी ने सीएम एकनाथ शिंदे के सिग्नेचर वाली स्लीप को संदिग्ध पाया और पुलिस को इसके बारे में सूचित किया, जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज किया गया। धोखाधड़ी और अन्य अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया था। जतिन पवार और शुभम वर्मा को पकड़ने की कोशिश जारी हैं।