26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

महाराष्ट्र में चुनाव से पहले सियासी उथल-पुथल! उद्धव-राज के बीच में आई कांग्रेस, किसे होगा नुकसान?

Maharashtra Civic Election : कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि महाराष्ट्र निकाय चुनावों के लिए मनसे के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा।

2 min read
Google source verification

मुंबई

image

Dinesh Dubey

Nov 06, 2025

Raj Thackeray BMC Election

हिंदी भाषियों के खिलाफ बोलना पड़ा भारी! कांग्रेस ने राज ठाकरे से गठबंधन से किया इनकार (Photo: IANS)

महाराष्ट्र कांग्रेस ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) से किसी भी तरह का गठबंधन न करने का फैसला किया है। यह निर्णय मुंबई के तिलक भवन में हुई रणनीतिक बैठक में लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सापकाल ने की। बैठक में मौजूद वरिष्ठ नेताओं ने सर्वसम्मति से तय किया कि कांग्रेस अब केवल इंडिया अलायंस (INDIA Alliance) के सहयोगियों के साथ ही चुनावी गठबंधन करेगी।

दूसरी ओर इंडिया अलायंस में शामिल शिवसेना उद्धव गुट मनसे से गठबंधन लगभग फाइनल कर चुकी है। साथ ही यह भी चाहती है कि राज ठाकरे नीत मनसे महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी (एमवीए) का हिस्सा बने। लेकिन कांग्रेस के विरोध के चलते यह मुमकिन नहीं लग रहा है।

हिंदी भाषियों के खिलाफ बोलना पड़ा भारी!

मिली जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र कांग्रेस यह फैसला जल्द ही दिल्ली हाईकमान को औपचारिक रूप से भेजा जाएगा। कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि मनसे के साथ चुनाव लड़ना नुकसानदायक साबित हो सकता है, खासकर तब जब बिहार में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। पार्टी के कई नेताओं ने तर्क दिया कि राज ठाकरे की पार्टी की उत्तर भारतीयों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ वाली छवि कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकती है। इसका भाजपा को सीधा फायदा मिलेगा और विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी (MVA) की स्थिति कमजोर होगी।

हाल के दिनों में राज ठाकरे ने सत्ताधारी महायुति गठबंधन और चुनाव आयोग के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया था, जिससे विपक्षी एकजुटता की अटकलें तेज हो गई थीं। उन्होंने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग वोटों की हेराफेरी को रोक नहीं रहा है, बल्कि बढ़ावा दे रहा है।

कांग्रेस ने राज से गठबंधन से क्यों किया इनकार?

पिछले शनिवार को कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के गठबंधन एमवीए ने मतदाता सूचियों में कथित अनियमितताओं के खिलाफ मनसे के साथ मिलकर ‘सत्य मार्च’ निकाला था। हालांकि, कांग्रेस की ओर से इस संयुक्त मोर्चे में बेहद सीमित उपस्थिति दर्ज की गई, जिससे यह साफ संकेत मिला कि पार्टी मनसे से गठजोड़ को लेकर सहज नहीं है।

इस बीच, मनसे के वरिष्ठ नेता बाला नांदगांवकर ने कहा कि उनकी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन को लेकर किसी तरह का प्रस्ताव भेजा ही नहीं है, इसलिए नकारने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने साफ किया कि गठबंधन पर फैसला खुद राज ठाकरे ही लेंगे।

उधर, कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने भी पार्टी की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि राज्य स्तर पर मनसे से गठबंधन पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर पार्टी नेताओं को अपनी चुनावी ताकत का आकलन कर निकाय चुनावों के लिए स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की छूट होगी।

कांग्रेस के इस फैसले के पीछे सिर्फ वैचारिक मतभेद ही नहीं, बल्कि रणनीतिक कारण भी हैं। पार्टी को डर है कि अगर मनसे साथ आई तो न सिर्फ मुंबई बल्कि ठाणे, नासिक आदि जगहों पर सीट बंटवारे में सम्जहुता करना पड़ेगा। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए सीटें कम हो जाएंगी।

बता दें कि 2012 के मुंबई के बीएमसी चुनाव में कांग्रेस ने 52 सीटें जीती थीं, जबकि मनसे को 28 सीटें मिली थीं। 2017 में यह संख्या घटकर 31 (कांग्रेस) और 7 (मनसे) रह गई थी। इस बार कांग्रेस अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़कर इस नुकसान की भरपाई करना चाहती है।

कुल मिलाकर कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने मूल वोट बैंक और विचारधारा से कोई समझौता नहीं करेगी। आने वाले चुनावों में पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के साथ ही आगे बढ़ेगी, जबकि राज ठाकरे की मनसे के लिए दरवाजे पूरी तरह बंद कर दिए हैं।