
ओपीएस पर उद्धव ठाकरे का बड़ा बयान
Maharashtra Politics: दिवंगत बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) ने 19 जून 1966 को अपनी राजनीतिक पार्टी शिवसेना (Shiv Sena) की नींव रखी थी। शिवसेना के स्थापना दिवस से ठीक पहले उद्धव ठाकरे गुट को दो बड़े झटके लगे है। शनिवार को शिशिर शिंदे ने पार्टी के उपनेता पद से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद अब शिवसेना (ठाकरे गुट) की विधायक मनिषा कायंदे शिंदे खेमे में जा रही है।
महाविकास अघाडी (एमवीए) कुछ महीने दूर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है। लेकिन करीब एक साल बाद भी एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद ठाकरे गुट में जो बेचैनी और नाराजगी पैदा हुई थी, वह अब भी कायम है. जो एमवीए गठबंधन के लिए अच्छी बात नहीं है। एक तरफ उद्धव गुट एमवीए में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए संघर्ष कर रहा है। ऐसे में बड़े नेताओं का साथ छोड़ना शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के बेटे उद्धव के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका है। एमवीए में शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी और कांग्रेस घटक हैं। यह भी पढ़े-महाराष्ट्र: विज्ञापन विवाद के बीच शिंदे-फडणवीस की बंद कमरे में मीटिंग, आज दिल्ली जाएंगे मुख्यमंत्री
जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की विश्वासपात्र और विधान परिषद की विधायक मनिषा कायंदे जल्द ही शिंदे गुट में शामिल होंगी। बताया जा रहा है कि वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में आज देर शाम तक शिंदे गुट की शिवसेना में शामिल होंगी। शिंदे गुट में शामिल होने वाली मनिषा पहली विधान परिषद विधायक बन जाएंगी। इस वजह से ठाकरे गुट को मुंबई समेत नासिक में भी तगड़ा झटका लगेगा।
मिली जानकारी के मुताबिक ठाकरे गुट की विधान परिषद विधायक कायंदे पिछले कुछ समय से पार्टी नेतृत्व से खफा चल रही थीं। हालांकि कायंदे की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है। लेकिन स्पष्ट है कि वह ठाकरे समूह के नेताओं के संपर्क में नहीं हैं। कहा जा रहा है कि ठाकरे गुट के तीन पूर्व पार्षद भी विधायक कायंदे समेत शिंदे गुट में शामिल होंगे।
इसे मुंबई नगर निगम चुनाव से पहले शिवसेना (शिंदे गुट) की ओर से ठाकरे गुट को बड़ा झटका देने की तैयारी के रूप एन भी देखा जा रहा है। संजय राउत ने विधायक मनिषा कायंदे कयांडे के दलबदल की कड़ी आलोचना की है। उनहोंने कहा, कचरा इधर-उधर उड़ता है। हवा का झोंका आने पर वह कचरा अपने दरवाजे पर गिर जाता है। इसलिए इस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
उधर, एक दिन पहले ही पूर्व विधायक शिशिर शिंदे (Shishir Shinde) ने शिवसेना (यूबीटी) छोड़ दी। शिंदे का आरोप है कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें उपनेता तो बनाया, लेकिन सालभर से कोई जिम्मेदारी नहीं दी। उन्होंने अपना इस्तीफा उद्धव ठाकरे को सौंपा है। जिसमें उन्होंने कहा कि छह महीने से उद्धव ठाकरे से उनकी मुलाकात तक नहीं हुई। तमाम कोशिशों के बावजूद पार्टी अध्यक्ष से मिलना असंभव हो गया था। कोई जिम्मेदारी नहीं दी जा रही थी। सिर्फ अलंकारिक पद दिया गया जिससे उनके चार साल बर्बाद हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिशिर शिंदे भी शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल हो सकते हैं।
Published on:
18 Jun 2023 04:05 pm
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