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Maratha Reservation: ‘जब तक जिंदा हूं, मराठा एकजुट रहेंगे’, मनोज जरांगे ने भरी हुंकार

Maratha Andolan : मनोज जरांगे ने कहा कि रविवार को सार्वजनिक रैली के बाद उनकी सेहत बिगड़ गई थी। लेकिन वह अपना तय कार्यक्रम नहीं रोकेंगे।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Aug 12, 2024

Manoj Jarange Maratha Andolan

Manoj Jarange on Devendra Fadnavis : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मराठा आरक्षण आंदोलन फिर से जोर पकड़ रहा है। सोमवार को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटील ने फिर हुंकार भरी है। मनोज जरांगे ने कहा कि रविवार को सार्वजनिक रैली के बाद उनकी सेहत खराब हो गई थी। उन्हें ऑक्सीजन और ब्लड प्रेशर की समस्या हो गई थी।

फडणवीस पर साधा निशाना

मीडिया से बात करते हुए मराठा आंदोलन के अगुवा मनोज जरांगे ने कहा कि उनका अभी भी ब्लड प्रेशर कम है लेकिन वह फिर भी अपने निर्धारित कार्यक्रम के लिए अहमदनगर और फिर नासिक जाएंगे। मनोज जरांगे ने कहा, “मैं छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) को गंभीरता से नहीं लेता क्योंकि वह जो कुछ भी कहते हैं वह देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के शब्द होते हैं.. छगन भुजबल केवल राजनीतिक लाभ के लिए बोलते हैं। फडणवीस मराठा समुदाय में फूट डालना चाहते हैं लेकिन मराठा एकजुट हैं। जब तक मैं जीवित हूं, मराठा एकजुट रहेंगे और उनका सपना पूरा नहीं होगा।”

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मराठा क्रांति ठोक मोर्चा से मिले शरद पवार

इस बीच, मराठा क्रांति ठोक मोर्चा के कार्यकर्ता रमेश केरे पाटिल ने पुणे में एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार के आवास पर उनसे मुलाकात की और आरक्षण के मुद्दे पर उनका रुख जाना। इसके बाद वरिष्ठ पवार ने पत्रकारों से बात की और बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे को मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच आरक्षण विवाद के मुद्दे पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने का सुझाव दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सीएम को सुझाव दिया है कि वह आरक्षण के मुद्दे का समाधान खोजने के लिए सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाएं। उन्हें उन नेताओं को आमंत्रित करना चाहिए जिन्हें वह उचित समझते हैं और हम, विपक्ष के रूप में भी इसमें शामिल होंगे और सहयोग करेंगे। आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे को भी आमंत्रित करना चाहिए.. छगन भुजबल जैसे ओबीसी नेताओं को भी बुलाना चाहिए।“

शरद पवार ने इस बात पर भी जोर दिया कि आरक्षण को लेकर एक बाधा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्णय दिया है कि आरक्षण देते समय 50 प्रतिशत आारक्षण सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। इसलिए इसके अनुरूप नीति बनाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। अगर केंद्र कदम उठाता है तो विपक्ष भी साथ देगा।