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मराठा आरक्षण: मनोज जरांगे का अनशन चौथे दिन भी जारी, अब नहीं पिएंगे पानी, OBC नेताओं की आज बड़ी बैठक

मनोज जरांगे ओबीसी श्रेणी में मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर चार दिन से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे हैं।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Sep 01, 2025

Manoj Jarange Maratha Andolan in Mumbai

मनोज जरांगे के अनशन का आज पांचवां दिन (Photo: IANS)

मनोज जरांगे ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की है। उन्होंने सोमवार को अपने अनशन के चौथे दिन से पानी पीना बंद कर दिया है। जरांगे ने फिर कहा कि वह मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण दिलाकर ही मुंबई छोड़ेंगे, भले ही इसके लिए उन्हें गोलियां खानी पड़े। उन्होंने सरकार से उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर आरक्षण के लिए शासनादेश (जीआर) जारी करने की मांग की है।

महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को कहा कि वह मराठा समुदाय के लिए कुनबी का दर्जा देने संबंधी हैदराबाद गजेटियर को लागू करने के लिए कानूनी राय लेगी। हालांकि जरांगे ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वह मुंबई में डंटे रहेंगे। सरकार के पास 58 लाख मराठों और कुनबियों का रिकॉर्ड है। उसके आधार पर जीआर जारी करे।

जरांगे ने कहा, महाराष्ट्र सरकार को मराठा भी कुनबियों की एक उपजाति हैं। 58 लाख रिकॉर्ड मिले हैं, जो मराठों को कुनबियों से जोड़ते हैं। अगर कोई कानूनी मुद्दा है, तो मराठों को कुनबी के रूप में सामान्यीकृत न करें। उन्होंने यह भी कहा कि हम ओबीसी श्रेणी के तहत मराठों को आरक्षण दिलाकर रहेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए।

मराठा और कुनबी एक नहीं- मंत्री

मराठा आरक्षण पर कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख व राज्य के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने रविवार को इस मुद्दे पर दो बैठकें की। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता बीरेन सराफ और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे ने समिति को बताया कि उन्हें यह अध्ययन करने के लिए समय चाहिए कि क्या हैदराबाद और सतारा गजेटियर को मनोज जरांगे की मांग के अनुसार लागू किया जा सकता है। मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता देने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मराठा और कुनबी एक नहीं हैं।

मराठा समुदाय की आरक्षण मांग और उनकी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति से संबंधित मुद्दों पर विचार करने के लिए गठित कैबिनेट उप-समिति के अध्यक्ष विखे पाटिल हैं। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज संदीप शिंदे के नेतृत्व में सरकार द्वारा नियुक्त एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को जरांगे से मुलाकात की, लेकिन जरांगे अपनी मांगों पर अड़े रहे। जस्टिस शिंदे मराठा समुदाय के कुनबी रेकार्ड की जांच के लिए गठित समिति के अध्यक्ष हैं।

विपक्ष ने की विशेष सत्र बुलाने की मांग

रविवार को इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी दलों के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए। एनसीपी (शरदचंद्र पवार) सांसद सुप्रिया सुले जब रविवार को धरना स्थल पर जरांगे से मिलने गई थीं तो उनकी कार मराठा प्रदर्शनकारियों ने रोक दी और पार्टी प्रमुख शरद पवार के खिलाफ नारेबाजी की। जिसके बाद सुले ने महाराष्ट्र सरकार से मराठा आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने के लिए राज्य विधानमंडल का विशेष सत्र और सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की।

ओबीसी नेताओं की आज बड़ी बैठक

उधर, ओबीसी आरक्षण को कम करने का विरोध करते हुए एनसीपी (अजित पवार) नेता और राज्य के मंत्री छगन भुजबल ने ओबीसी नेताओं की सोमवार को एक अहम बैठक बुलाई है।

महाराष्ट्र की राजनीति में प्रमुख ओबीसी चेहरा भुजबल ने कहा, मुंबई में सोमवार को दोपहर तीन बजे हमारी बैठक होगी। इसमें उनके नेतृत्व वाली समता परिषद और अन्य ओबीसी संगठनों के प्रतिनिधी शामिल होंगे।

गौरतलब हो कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत कोटा की मांग को लेकर मनोज जरांगे शुक्रवार से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए, जो एक कृषि प्रधान जाति है और ओबीसी श्रेणी में शामिल है। जिससे लाखों मराठों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिल सके।