
उद्धव और राज ठाकरे के साथ आने से बिखर जाएगी अघाडी? (Photo- IANS)
महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर पिछले कई महीनों से सियासत गरमाई हुई है। खासकर ठाकरे भाईयों के भारी विरोध के बीच महायुति सरकार ने रविवार को प्राथमिक स्कूलों में तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी पढ़ाने से जुड़ा अपना फैसला वापस ले लिया। ठाकरे भाई इसे अपनी और मराठी भाषी जनता कि जीत बता रहे है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि हिंदी भाषा विवाद में दो दशक से अलग-अलग सियासी रास्ते पर चल रहे उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे काफी करीब आ गए है। यहां तक की दोनों भाई अब एक साथ एक मंच पर नजर आने वाले है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और मनसे मिलकर मुंबई के वर्ली डोम सभागृह में 5 जुलाई को भव्य कार्यक्रम की तैयारी कर रही है।
ठाकरे भाईयों का करीब आना महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरणों में बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है। खासकर मुंबई नगर निगम चुनाव (BMC Election) में बड़ा सियासी उलटफेर हो सकता है। दूसरी ओर ठाकरे भाईयों के एक होने से महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) में दरार पड़ने की संभावना भी जताई जा रही है। दरअसल एमवीए में कांग्रेस, उद्धव की शिवसेना (UBT) और शरद पवार की एनसीपी (एसपी) शामिल है। उद्धव की शिवसेना और राज ठाकरे की पार्टी मनसे के साथ गठबंधन की अटकलों के बीच कांग्रेस ने बड़ी बात कही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस के भीतर यह बहुत मजबूत राय है कि पार्टी को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी चुनाव) का चुनाव अकेले लड़ना चाहिए। उनके इस बयान से एक दिन पहले कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्निथला ने कहा था कि कांग्रेस आगामी 7 जुलाई को इस बारे में निर्णय करेगी कि बीएमसी का चुनाव महाविकास आघाडी (एमवीए) के सहयोगी दलों के साथ मिलकर लड़ना है या कोई दूसरी राह अपनानी है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने कहा कि जिला परिषदों, पंचायत समितियों और दूसरे स्थानीय निकाय के चुनावों में आमतौर पर गठबंधन के बारे में कांग्रेस जिला इकाई निर्णय लेती रही है, लेकिन यह तय है कि सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति से संबंधित किसी भी पार्टी के साथ तालमेल नहीं होगा।
पूर्व मंत्री एवं बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा, “उद्धव और राज ठाकरे के एक साथ आने से महाविकास आघाड़ी गठबंधन से कांग्रेस बाहर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि दोनों भाइयों के साथ आने से बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होगा। वह साथ आएंगे तो अच्छी बात ही है, हमें उनके साथ आने से कोई दिक्कत और आपत्ति नहीं है, बल्कि हम तो उन्हें साथ आने के लिए शुभकामनाएं देते है। इसको लेकर हमारा कोई विरोध नहीं है... लेकिन फिर कांग्रेस MVA से टूट जाएगी, इस वजह से उन्हें खुद इससे फायदा नहीं हो सकेगा। हम तो चाहते है कि विपक्षी खेमा मजबूत रहे, क्योंकि लोकतंत्र के लिए विपक्ष का होना मजबूत जरुरी है। विपक्ष मजबूत होने से राज्य का विकास, प्रगति अच्छी होती है। लेकिन वह एक ही नहीं होते, इसके लिए बीजेपी कुछ नहीं कर सकती है।
इससे पहले एकनाथ शिंदे की शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने की संभावना पर कहा था कि उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व का रास्ता छोड़ दिया है, जबकि राज ठाकरे खुद को कट्टर हिंदूवादी बताते हैं। इस वजह से दोनों नेताओं का एक साथ आना विचारधाराओं के टकराव के कारण मुश्किल है।
मनीषा कायंदे ने तंज कसते हुए कहा, चचेरे भाई को साथ लेने के लिए उद्धव को पहले अपने घर से और अपनी किचन कैबिनेट से अनुमति लेनी पड़ेगी। दो भाइयों का एक साथ आना और दो दलों का एकजुट होना दो अलग-अलग बातें हैं। यह फैसला समय पर निर्भर करेगा, क्योंकि उनकी विचारधाराएं बिल्कुल अलग हैं। हिंदुत्व छोड़ने वाले उद्धव राज ठाकरे की हिंदुत्ववादी विचारधारा के साथ तालमेल कैसे बिठा पाएंगे।
Updated on:
02 Jul 2025 05:48 pm
Published on:
02 Jul 2025 05:46 pm
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