
राहुल गांधी के साथ पूर्व कांग्रेस नेता कुणाल पाटिल
महाराष्ट्र की राजनीति में मंगलवार को बड़ा उलटफेर हुआ, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक कुणाल पाटिल (Kunal Patil Join BJP) ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा (BJP) में प्रवेश कर लिया। पाटील को कांग्रेस के दिग्गज नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का करीबी माना जाता है, लेकिन अब उन्होंने पार्टी को अलविदा कहते हुए 'कमल' का दामन थाम लिया है। इससे धुले में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है।
कुणाल पाटिल मुंबई में एक भव्य समारोह के दौरान भाजपा में शामिल हुए, जहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
बीजेपी में शामिल होने के बाद मीडिया से बातचीत में पाटिल ने कहा, मैंने कांग्रेस में रहते हुए पूरी निष्ठा से काम किया। यह निर्णय आसान नहीं था। हमारी तीन पीढ़ियों की कांग्रेस से निष्ठा रही है, लेकिन अब अपने क्षेत्र के विकास के लिए मुझे यह कठिन फैसला लेना पड़ा।
उन्होंने बताया कि बचपन से कांग्रेस को ही अपना माना, कांग्रेस हमारे खून में है। पाटिल के दादा चुडामण अण्णा ने 1962 में जवाहरलाल नेहरू के लहर के बावजूद उनसे ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी और वह 25 वर्षों तक सांसद रहे थे। पिता भी सात बार कांग्रेस विधायक रहे और 2009 तक धुले का प्रतिनिधित्व किया।
पाटील ने कहा कि आज का दिन उनके लिए भावनात्मक रूप से कठिन है। मैं अपनी तीन पीढ़ियों की परंपरा पीछे छोड़ रहा हूं, लेकिन हमारा मकसद विकास है। उन्होंने कहा, तीन पीढ़ियों की परंपरा को छोड़कर मैं भाजपा में आ रहा हूं। लेकिन मेरी प्राथमिकता है कि मेरे क्षेत्र का चहुंमुखी विकास हो। मेरे परिवार ने हमेशा जनता की सेवा की है और अब यह जिम्मेदारी मुझे आगे बढ़ानी है।
कुणाल पाटील के बीजेपी में जाने की अटकलें पिछले कुछ दिनों से लगाई जा रही थीं। हाल ही में उन्होंने रायगढ़ में भाजपा प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण से मुलाकात की थी, जिसके बाद से कयास तेज हो गए थे। अब उनके भाजपा में शामिल होने से धुले जिले में कांग्रेस की पकड़ ढीली पड़ी है।
2014 में पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कुणाल पाटील भारी मतों से जीते थे। 2019 में भी जनता ने उनका साथ दिया। उनके जैसे मजबूत जमीनी नेता का भाजपा में जाना आगामी निकाय चुनावों से पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के लिए एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है। धुले जिले में उनका अच्छा जनाधार है, और वे लंबे समय से पार्टी का चेहरा रहे हैं। अब देखना होगा कि उनका ‘कमल’ उठाना स्थानीय और राज्य स्तर की राजनीति पर कितना असर डालता है।
Updated on:
01 Jul 2025 05:14 pm
Published on:
01 Jul 2025 05:11 pm
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