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Nashik News: पीरियड के दौरान पेड़ लगाओगी तो सड़ जाएंगे.. टीचर ने छात्राओं को वृक्षारोपण करने से रोका, शिकायत के बाद जांच शुरू

Nashik News: यह मामला त्र्यंबकेश्वर तालुका के देवगांव में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक आश्रम स्कूल का है। इस स्कूल में कुल 500 छात्राएं पढ़ती हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शिकायत के बाद अब बालिका के सहपाठियों, शिक्षकों, अधीक्षक और प्राचार्य सहित सभी के बयान दर्ज किए जाएंगे और मामले की जांच की जाएगी।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jul 27, 2022

Nashik teacher stopped girl students from planting trees during menstruation

प्रतीकात्मक तस्वीर

Nashik Latest News: महाराष्ट्र (Maharashtra) के नासिक (Nashik) जिले के त्र्यंबकेश्वर तालुक (Trimabkeshwer) से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। आरोप है कि सरकारी बोर्डिंग स्कूल के पुरुष शिक्षक ने आदिवासी छात्रा और अन्य लड़कियों को पीरियड के दौरान वृक्षारोपण अभियान में हिस्सा लेने से रोक दिया। हालांकि प्रशासन और संगठनों के दखल के बाद आज छात्राओं ने स्कूल परिसर में पौधा लगाया है।

छात्राओं का आरोप है कि बीते हफ्ते वृक्षारोपण अभियान के दौरान शिक्षक ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान पेड़ लगाने से पेड़ सड़ जाएंगे और उगेंगे नहीं। जिसकी शिकायत एक साइंस की छात्रा ने आदिवासी विकास विभाग (टीडीडी) से कर दी। इस मामले के जांच के आदेश दिए गए हैं। यह भी पढ़े-Palghar: खिलौने की तरह हवा में कई बार पलटी स्कूल वैन, कैमरे में कैद हुआ भीषण हादसा, देखें वीडियो

यह मामला त्र्यंबकेश्वर तालुका के देवगांव में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक आश्रम स्कूल का है। इस स्कूल में कुल 500 छात्राएं पढ़ती हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शिकायत के बाद अब बालिका के सहपाठियों, शिक्षकों, अधीक्षक और प्राचार्य सहित सभी के बयान दर्ज किए जाएंगे और मामले की जांच की जाएगी।

एक दिन पहले ही जिले की अतिरिक्त जिला अधिकारी और टीडीडी परियोजना अधिकारी वर्षा मीणा ने स्कूल में छात्रा से मुलाकात की और उसकी समस्याओं के बारे में जाना।


क्या है आरोप?

छात्रा ने शिकायत में कहा है कि शिक्षक ने पिछले सप्ताह स्कूल परिसर में आयोजित वृक्षारोपण अभियान के दौरान पीरियड वाली लड़कियों को पेड़ लगाने से मना किया था। शिक्षक ने छात्राओं से कहा कि वह पेड़ों के पास न जाएं, क्योंकि पिछले साल मासिक धर्म के दौरान जिन लड़कियों ने पौधे लगाए थे, वह बड़े नहीं हुए, वह पेड़ जल गए।

इस घटना की जानकारी छात्रा ने श्रमजीवी संगठन को भी दी थी। लड़की ने कहा कि उसे धमकी दी गई थी कि मूल्यांकन के 80 प्रतिशत मार्क्स स्कूल अधिकारियों के हाथ में हैं। इसलिए वह शिक्षक का तब विरोध नहीं कर सकी।