
उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे की दशहरा रैली पर अजित पवार ने दी पहली प्रतिक्रिया
Shiv Sena Uddhav Thackeray Vs Eknath Shinde: महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व उपमुख्यमंत्री व एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार (Ajit Pawar) ने शिवसेना के दोनों खेमों- उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की दशहरा रैली पर टिप्पणी की है। महाराष्ट्र के नेता विपक्ष पवार ने कहा, मैंने कल टीवी पर दोनों नेताओं के भाषण सुने थे। साथ ही महाराष्ट्र की जनता ने भी उनकी बात सुनी। अब उन्हें आगे तय करना है कि किसके साथ आगे बढ़ना है।
बता दें कि शिवसेना के 56 साल के इतिहास में पहली बार दो अलग-अलग दशहरा रैलियां आयोजित हुई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के धड़े द्वारा मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में दशहरा रैली की गई। जबकि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे नीत गुट ने मध्य मुंबई के शिवाजी पार्क में अपनी दशहरा रैली का आयोजन किया। शिंदे और उद्धव ठाकरे, दोनों ही अपने-अपने गुट के ‘असली’ शिवसेना होने का दावा करते हैं। यह भी पढ़े-Maharashtra: पंकजा मुंडे की दशहरा रैली में अफरा-तफरी, पुलिस ने भाजी लाठियां, सेल्फी के चक्कर में हुई घटना
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अजित पवार विजयादशमी के दूसरे दिन बारामती पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने मीडिया द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दिए। तभी उन्होंने मुंबई में शिवसेना की दो दशहरा रैलियों पर भी प्रतिक्रिया दी। हालांकि, वह इस मुद्दे पर ज्यादा बोलने से बचते नजर आए।
उन्होंने कहा “दशहरा जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर पूरे महाराष्ट्र ने दोनों रैलियों को देखा। हर कोई उत्सुक था क्योंकि यह उनकी पार्टी का आंतरिक मुद्दा था। दोनों खेमों की रैली में भीड़ थी। कई कार्यकर्ताओं को यह नहीं पता था कि उन्हें क्यों लाया गया।
ये राजनीतिक मामले हैं। महाराष्ट्र की जनता, वोटर, शिवसैनिक को सोच समझकर आगे फैसला लेन है कि वह किसके साथ खड़े रहेंगे। वह खुद अपना अगला कदम उठाएंगे।
एकनाथ शिंदे के आरोप ‘शिवसेना झंडा का लेकिन एजेंडा एनसीपी का’ वाले बयान पर अजित पवार ने कहा, इसका कोई मतलब नहीं है। क्योंकि तब वह भी कैबिनेट में थे। वो मेरी दाहिनी तरफ बैठते थे। तब उन्होंने कुछ नहीं कहा था. वहां शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस भी थीं। हमारे पास कई वर्षों का अनुभव है।
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ शिंदे की बगावत की वजह से शिवसेना की अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार 29 जून को गिर गई थी। जिसमें शिवसेना के साथ एनसीपी और कांग्रेस भी सरकार का हिस्से थे। एमवीए सरकार की विदाई के एक दिन बाद 30 जून को एकनाथ शिंदे ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
Published on:
06 Oct 2022 10:35 am
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