शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद राउत ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि असंतुष्ट नेताओं को शिवसेना से अलग होने के अपने फैसले पर पछतावा होगा। उन्होंने कहा "आप (विद्रोही नेता) इस पर पछताएंगे। बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे एक कट्टर शिवसैनिक थे और कई वर्षों तक पार्टी के लिए काम किया। चाहे वह गुलाबराव पाटिल, संदीपन भुमरे और कई विधायक हो उन्होंने पार्टी के लिए काम किया और इसके लिए संघर्ष किया, अब उन्होंने अपना रास्ता चुना है।“
शिवसेना सांसद ने कहा, "हम उनके रास्ते में कोई बाधा नहीं पैदा करेंगे। उनका (बीजेपी के साथ) जुड़ाव हो सकता है। हम अपना काम करेंगे। अब हमारे रास्ते अलग हैं। हम एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।"
बीजेपी का नाम लिए बिना राउत ने कहा कि वह शिवसेना विधायकों पर दबाव बनाने के लिए जिम्मेदार लोगों से अच्छी तरह वाकिफ हैं, जिसके कारण शिवसेना में बगावत हुई। उन्होंने कहा कि सभी को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार पर विश्वास की भावना थी। उन्होंने कहा कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार हों या कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सभी ने उद्धव ठाकरे पर भरोसा किया। लेकिन पहले दिन से ही सरकार गिराने की कोशिशें चल रही थीं और हमें इस बात की जानकारी थी कि जिस तरह से वे (भाजपा ने) केंद्रीय एजेंसियां आदि जैसी विभिन्न माध्यमों से अलग तरह के दबाव डाल रहे थे।
उन्होंने कहा कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का गठन "आत्म-सम्मान की लड़ाई" थी और शिवसेना के दिवंगत सुप्रीमो बाल ठाकरे के शिव सैनिक को मुख्यमंत्री बनाने के सपने को साकार करने के लिए थी। राउत ने पूछा, क्या बागी विधायक शिवसैनिक को बनाएंगे मुख्यमंत्री? राउत ने कहा कि उनकी पार्टी अब नए जोश के साथ काम करेगी।
बता दें कि शिवसेना के बागियों ने पार्टी के खिलाफ विद्रोह का मुख्य कारण कांग्रेस और एनसीपी से शिवसेना का गठबंधन बताया था और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाले महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार से बाहर निकल आये थे।