
मराठा आरक्षण के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर कोर्ट की चौखट पर पहुंच गया है। एक दिन पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण देने वाला विधेयक पारित करवाया था। इससे मराठा समुदाय को शिक्षा और रोजगार में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा। लेकिन अब मराठा आरक्षण के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है।
हाईकोर्ट पहुंचा OBC फाउंडेशन
मराठा आरक्षण को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। ओबीसी वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश को फिलहाल निलंबित किया जाए। यह भी पढ़े-बिहार के बाद अब महाराष्ट्र में 70 फीसदी के पार आरक्षण, जानें किस जाति का कितना कोटा?
लागू होने से पहले ही संकट में मराठा आरक्षण
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त जस्टिस सुनील शुक्रे की नियुक्ति को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। दरअसल मराठों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए लाया गया विधेयक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट पर आधारित है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मराठा समुदाय पिछड़ा हुआ है। इसलिए 10 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है। राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 28 प्रतिशत है।
याचिकाकर्ता ने शुक्रे और आयोग के अन्य सदस्यों की नियुक्ति को चुनौती देते हुए उनकी नियुक्ति आदेश को रद्द करने की मांग की है।
ओबीसी वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से दायर जनहित याचिका में दावा किया गया है कि नियुक्ति कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना की गई। याचिका में यह भी मांग की गई है कि मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश को रोका जाए। याचिका पर जल्द सुनवाई होने की उम्मीद है।
रिटायर्ड न्यायमूर्ति शुक्रे की अध्यक्षता वाले राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने हाल ही में मराठा समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन पर एक रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी है। इसमें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई। हालांकि इस याचिका के कारण मराठा समुदाय के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू होने में देरी होने की संभावना है।
विशेष सत्र में विधेयक हुआ पास
मराठा आरक्षण को मंजूरी देने के लिए 20 फरवरी को एकनाथ शिंदे सरकार ने विशेष सत्र बुलाया था। इससे पहले मसौदा रिपोर्ट को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दी और फिर यह मसौदा विधानमंडल में पेश किया गया। विधेयक में कहा गया है कि मराठा समुदाय के 84 प्रतिशत परिवार उन्नत श्रेणी में नहीं आते हैं। राज्य में आत्महत्या कर चुके किसानों में से 94 प्रतिशत मराठा समुदाय से थे।
सदन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मराठा आरक्षण को लेकर लिया गया फैसला ऐतिहासिक है। आरक्षण का यह फैसला साहसिक है। साथ ही यह आरक्षण न्यायालय में भी टिकेगा। उन्होंने सभी सदस्यों से इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने की अपील की। जिसके बाद विधेयक पर कोई चर्चा नहीं हुई। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक सुर में मराठा आरक्षण बिल पर हामी भारी और पहले विधानसभा और फिर विधान परिषद में विधेयक पास हो गया।
मनोज जरांगे का अनशन जारी
इससे मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया। मराठा समुदाय को सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, जिला परिषदों, मंत्रालयों, क्षेत्रीय कार्यालयों, सरकारी और अर्ध-सरकारी कार्यालयों में 10% आरक्षण मिलेगा। लेकिन मराठा समुदाय को राजनीतिक आरक्षण नहीं मिलेगा। वहीं मराठा नेता मनोज जरांगे पाटील ने इसे धोखा बताया है। उन्होंने कहा कि मराठा समाज को ओबीसी के तहत आरक्षण मिलना चाहिए। इस मांग को लेकर मनोज जरांगे ने अपनी भूख हड़ताल जारी रखी है।
Published on:
21 Feb 2024 02:15 pm
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