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रायगढ़ लैंडस्लाइड: अब तक 13 शव बरामद, 98 लोग सुरक्षित, ग्रामीणों के रहने के लिए मंगाए गए 50 कंटेनर

Raigad Landslide: रायगढ़ जिले में मोरबे बांध से छह किलोमीटर दूर इरशालवाडी गांव में करीब 50 मकान हैं, जिनमें से 17 मकान भारी बारिश के चलते हुए लैंडस्लाइड में ध्वस्त हो गए।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jul 20, 2023

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रायगढ़ में लैंडस्लाइड से गांव तबाह

Khalapur Irshalwadi Landslide: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के खालापुर तहसील में बीती रात भूस्खलन की घटना बड़ी आपदा साबित हुई है। पहाड़ी से आये मिट्टी-पत्थर के मलबे ने इरशालवाडी गांव के कम से कम 17 घरों को जमींदोज कर दिया है। इस हादसे में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसमें एक बचावकर्मी भी शामिल है। जबकि कुल 98 लोग सुरक्षित बताये जा रहे है। इस हादसे में अभी भी बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। 18 घंटे बाद भी इस गांव के 60 से ज्यादा लोगों का पता नहीं चल सका है।

जानकारी के मुताबिक, इलाके में भारी बारिश हो रही है, जिससे बचाव कार्य में भी बाधाएं आ रही हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड व स्थानीय प्रशासन की टीमें बचाव कार्य में लगे हुए हैं। की चार टीम स्थानीय अधिकारियों के साथ बचाव कार्य में लगी हुई हैं। इरशालवाडी गांव पहाड़ी क्षेत्र में मौजूद होने की वजह से वहां जेसीबी आदि भारी मशीनों को वहां नहीं ले जाया जा सकता। आज दोपहर में खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे 2-3 किमी चलकर पहाड़ी के ऊपर घटनास्थल पर गए। यह भी पढ़े-महाराष्ट्र: रायगढ़ में लैंडस्लाइड से गांव तबाह, 100 से ज्यादा लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका

बताया जा रहा है कि इरशालवाडी गांव में करीब 48 परिवारों के 220 से ज्यादा लोग रहते थे। यह एक आदिवासी गांव है और दुर्गम इलाका होने की वजह से यहां कोई पक्की सड़क तक नहीं है। यह गांव माथेरान और पनवेल के बीच स्थित इरशालगढ़ किले के पास स्थित है। सरकार ने हादसे से प्रभावित ग्रामीणों के रहने और खाने की व्यवस्था की गई है। खबर है कि वहां 50 से 60 कंटेनर मंगवाए गए है।

आपदा प्रबंधन मंत्री अनिल पाटिल (Anil Patil) भी इरशालवाडी में मौजूद है। उन्होंने कहा, "बचाव अभियान जारी है। बारिश के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किल हो रहा है लेकिन हम लगातार काम कर रहे हैं। अब तक 178 लोगों में से 98 लोगों को बचाया जा चुका है और 12 लोगों की मौत हो चुकी है। मुख्यमंत्री भी स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं। हमने यहां बचाए गए लोगों के लिए भी रहने-खाने की व्यवस्था की है। बाद में ग्रामीणों को किसी और स्थान पर बसाया जायेगा।"