
राज ठाकरे (Photo: FB)
महाराष्ट्र सरकार द्वारा पहली कक्षा से हिंदी विषय अनिवार्य किए जाने के फैसले के खिलाफ विरोधी दलों ने मोर्चा खोल दिया है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि हम किसी भी हाल में हिंदी की जबरन थोपने की कोशिश सफल नहीं होने देंगे।
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने 5 जुलाई को सुबह 10 बजे मुंबई में गिरगांव चौपाटी से आजाद मैदान तक विरोध मोर्चा निकालने की घोषणा की है। इस मोर्चे में अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं से शामिल होने की अपील की गई है। साथ ही कई प्रमुख मराठी कलाकारों की भी इस मोर्चे में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
इस मुद्दे पर एनसीपी (शरद पवार गुट) के प्रमुख और वरिष्ठ नेता शरद पवार ने भी बीजेपी नीत महायुति सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा, प्राथमिक शिक्षा में हिंदी की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए। पहली से पांचवीं तक मातृभाषा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। बच्चों पर भाषाई बोझ डालना ठीक नहीं है। हिंदी अगर पांचवीं कक्षा के बाद सिखाई जाए, तो इसमें कोई आपत्ति नहीं है।
शरद पवार ने आगे कहा, "मातृभाषा को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए। सरकार को जिद छोड़नी चाहिए और भाषा को लेकर रुख बदलना चाहिए। मातृभाषा सबसे ज्यादा जरूरी है। पांचवीं के बाद बच्चों को क्या पढ़ाना है, यह उनके परिवार पर छोड़ देना चाहिए।"
मोर्चे में शामिल होने को लेकर पूछे गए सवाल पर पवार ने कहा, "मैंने ठाकरे बंधुओं का बयान देखा है, और उसमें कुछ भी गलत नहीं कहा गया है। उन्होंने केवल यह कहा है कि हिंदी किस कक्षा में पढ़ाई जाए और कहां नहीं, इस पर विचार होना चाहिए। हमें अभी तक मोर्चे को लेकर कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है, लेकिन हम अन्य दलों से इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे। हमारी सोच नकारात्मक नहीं है।"
अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या शरद पवार 6 जुलाई के मोर्चे में शामिल होंगे या नहीं। महाराष्ट्र की राजनीति में भाषा के मुद्दे पर यह टकराव आने वाले समय में और तेज होने की संभावना है।
Updated on:
26 Jun 2025 07:37 pm
Published on:
26 Jun 2025 05:11 pm
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