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‘मेरी वसीयत को चुनौती दी तो…’, रतन टाटा की 3900 करोड़ की संपत्ति का ऐसे होगा बंटवारा, कोर्ट जाना पड़ेगा महंगा!

Ratan Tata last will : दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा ने अपनी पहली वसीयत 18 अप्रैल 1996 को बनाई थी।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Apr 01, 2025

mandideep will be named as Ratan Tata

Ratan Tata Property : देश के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा का पिछले साल 9 अक्टूबर 2024 को निधन हो गया। अपने जीवनकाल में परोपकार और सादगी के लिए मशहूर रतन टाटा ने अपनी वसीयत में समाजसेवा के साथ-साथ अपने परिवार, दोस्तों, कर्मचारियों और यहां तक कि अपने पालतू कुत्ते के लिए भी कुछ न कुछ छोड़ा है। उनकी संपत्ति और उत्तराधिकारी को लेकर हाल ही में कई अहम जानकारियां सामने आई हैं।

रतन टाटा की कुल संपत्ति करीब 3,900 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें टाटा सन्स के शेयर, बैंक बैलेंस, घड़ियां, पेंटिंग्स और अन्य मूल्यवान दस्तावेज शामिल हैं। उन्होंने अपनी अधिकांश संपत्ति रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट को दान कर दी है। ये दोनों संस्थाएं चैरिटेबल और परोपकारी कार्यों से जुड़ी हैं। उनके इस फैसले से साफ है कि वे अपनी मृत्यु के बाद भी टाटा समूह की समाजसेवा की परंपरा को जारी रखना चाहते थे।

दिवंगत उद्योगपति की वसीयत में कम से कम दो दर्जन लोगों के नाम हैं, जिनमें उनके भाई जिमी टाटा (Jimmy Tata), दो सौतेली बहनें शिरीन जीजीभॉय (Shireen Jejeebhoy) और दीना जीजीभॉय (Deanna Jeejeebhoy), पूर्व विश्वासपात्र मोहिनी दत्ता (Mohini Dutta) और उनकी संस्थाएं शामिल हैं।

उनकी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा उनके परिवार और करीबी लोगों को भी दिया गया। उनकी दो सौतेली बहनों शिरीन और दीना को संपत्ति का एक-तिहाई हिस्सा मिला। इसके अलावा, मोहिनी दत्ता जो टाटा ग्रुप में काम करती थीं को भी एक-तिहाई संपत्ति सौंपी गई। रतन टाटा के अपने भाई जिमी टाटा को मुंबई के जुहू स्थित बंगले का एक हिस्सा दिया गया, जबकि उनके करीबी मित्र मेहली मिस्त्री (Mehli Mistry) को अलिबाग में स्थित उनकी संपत्ति मिली है।

यह भी पढ़े-Ratan Tata Will: रतन टाटा की 10000 करोड़ की वसीयत आई सामने, जानें किसका-किसका नाम?

'नो-कॉन्टेस्ट क्लॉज'

रतन टाटा ने अपनी वसीयत में एक दिलचस्प और अनोखी शर्त भी जोड़ी, जिसे 'नो-कॉन्टेस्ट क्लॉज' (no-contest clause) कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति इस वसीयत को कानूनी रूप से चुनौती देता है, तो वह अपनी दी हुई संपत्ति और अधिकार खो देगा। यह कदम इस बात को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया कि उनकी संपत्ति का बंटवारा बिना किसी विवाद के हो सके।

टाटा संस के शेयर के लिए रखी शर्त

उनकी टाटा संस में हिस्सेदारी दो फाउंडेशनों को सौंपी गई है- 70% रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) को और शेष 30% रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट (RTET) को मिलेगा। वसीयत में यह भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि उनके टाटा संस के शेयर किसी को बेचे या हस्तांतरित नहीं किए जा सकते, सिवाय किसी मौजूदा शेयरधारक के।

रतन टाटा की पारिवारिक संपत्ति में जुहू स्थित बंगले में उनका हिस्सा उनके भाई जिमी टाटा को मिलेगा, जिसकी अनुमानित कीमत 16 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, उन्हें रतन टाटा के आभूषण भी मिलेंगे। जिमी टाटा ने अपने बड़े भाई की वसीयत पर कोई आपत्ति न जताते हुए अदालत में 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' (NOC) दाखिल किया है।

दोस्त को दी तीन बंदूकें

रतन टाटा की शेष संपत्ति का बंटवारा उनकी दो सौतेली बहनों और मोहिनी दत्ता के बीच किया जाएगा। बैंक में जमा 385 करोड़ रुपये की संपत्ति को तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाएगा। रतन टाटा के पास 11 लग्जरी कारें, 65 महंगे घड़ियां (जिनमें शॉपार्ड, पैटेक फिलिप, बुल्गारी और टिफ़नी जैसी ब्रांड शामिल हैं), 21 एंटीक टाइमपीस, 52 महंगी पेन (कार्टियर, शेफर और मोंट ब्लांक जैसे ब्रांड), कई पेंटिंग्स और कलात्मक वस्तुएं थीं। इनकी अनुमानित कीमत लगभग 12 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसके अलावा, उन्होंने अलीबाग स्थित 6.16 करोड़ रुपये की संपत्ति और तीन बंदूकें अपने मित्र मेहली मिस्त्री को सौंप दी हैं।

टाटा संस के अलावा, रतन टाटा के पास टाटा समूह की कई कंपनियों में भी हिस्सेदारी थी, जिनमें टीसीएस (826 करोड़ रुपये), टाटा मोटर्स (101 करोड़ रुपये), टाटा टेक्नोलॉजीज (64 करोड़ रुपये) और टाटा कैपिटल (36 करोड़ रुपये) शामिल हैं। इसके अलावा, उनके पास अर्बनक्लैप, मैपमायजीनोम और अमेरिकी कंपनी अल्कोआ कॉर्पोरेशन जैसी गैर-टाटा कंपनियों में भी निवेश था। उनकी सभी शेयर संपत्तियों को आरटीईएफ और आरटीईटी के बीच समान रूप से बांट दिया गया है।

रतन टाटा की वसीयत को लागू करने के लिए इसे बॉम्बे हाईकोर्ट में पेश किया गया है। रतन टाटा ने अपनी पहली वसीयत 18 अप्रैल 1996 को बनाई थी, जो टाटा समूह के अध्यक्ष बनने के पांच साल बाद की गई थी। उन्होंने इसे नवंबर 2009 में संशोधित किया। हालांकि, दोनों वसीयतों को रद्द कर दिया गया और उनकी अंतिम वसीयत 23 फरवरी 2022 को बनाई गई। इसके बाद, उन्होंने इसमें चार बार बदलाव किए। इस वसीयत पर दो गवाहों रतन टाटा के चार्टर्ड अकाउंटेंट दिलीप ठक्कर और डॉक्टर पोरस कपाड़िया के हस्ताक्षर हैं।