
Sanjay Raut Book Narkatla Swarg : शिवसेना (उद्धव गुट) सांसद संजय राउत की नई किताब ‘नरकातला स्वर्ग’ (नर्क में स्वर्ग) के प्रकाशन के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से चर्चा का तूफान उठा है। यह किताब संजय राउत ने उस कठिन समय को केंद्र में रखकर लिखी है, जब वे पात्रा चॉल घोटाले के मामले में 100 दिन मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद थे। 17 मई को इस किताब का भव्य विमोचन हुआ, जिसमें लेखक जावेद अख्तर, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे जैसे दिग्गज नेता शामिल हुए।
राज्यसभा सांसद संजय राउत ने अपनी किताब में जेल के अनुभवों के साथ-साथ महाराष्ट्र की राजनीतिक हलचलों, सत्ता के बदलते समीकरणों और सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग जैसे कई मुद्दों पर अपनी राय रखी है। उन्होंने किताब में दावा किया कि कैसे उन्हें झूठे आरोपों में फंसाकर जेल भेजा गया, और ईडी जैसी एजेंसियों के जरिए उन्हें मजबूर करने की कोशिश की गई, लेकिन वह अपने आत्मसम्मान के लिए संघर्ष करते रहें। इस दौरान उनके परिवार को भी तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इन्हीं अनुभवों से गुजरते हुए, उन्होंने इस किताब को आकार दिया।
संजय राउत ने यह किताब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे को विशेष रूप से भेजी है। राउत ने एकनाथ शिंदे को अपनी पुस्तक भेजने के साथ ही एक पत्र लिखा है।
राउत ने एकनाथ शिंदे को भेजे गए पत्र में लिखा है, “जुल्म करने वाली और लोकतंत्र को न मानने वाली सरकार ने मुझे एक झूठे मामले में 100 दिनों के लिए जेल भेजा। यह राजनीतिक विरोधियों को दबाने का अमानवीय तरीका था। 'ईडी' जैसी जांच एजेंसियों का अत्याचार सहते हुए, संघर्ष करते हुए मैं इस संकट से बाहर निकला। इस संघर्ष में मेरे परिवार को भी बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ा। इस सफर की कई घटनाओं के आप स्वयं साक्षी रहे हैं। जेल के कठिन अनुभवों और गहरे चिंतन से इस पुस्तक का जन्म हुआ है। आपके अवलोकन के लिए इस पुस्तक की एक प्रति भेज रहा हूँ। 'ईडी', 'सीबीआई' जैसी बीजेपी समर्थित जांच एजेंसियों की मनमानी के आगे झुके बिना आत्मसम्मान कैसे बनाए रखा जा सकता है, यह बात इस पुस्तक के माध्यम से कहने का मेरा प्रयास है, जो आपको निश्चित ही पसंद आएगा।"
राउत ने 'एक्स' पर भी इस बात की जानकारी दी और लिखा कि उन्होंने अपने पुराने साथी एकनाथ शिंदे को ‘नरकातला स्वर्ग’ की एक प्रति भेजी है, और उन्होंने यह उम्मीद जताई कि शिंदे और गुवाहाटी-सूरत की यात्रा करने वाले उनके सभी सहयोगी इस किताब को जरूर पढ़ें।
Updated on:
30 May 2025 03:14 pm
Published on:
30 May 2025 03:01 pm
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