
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाडी (MVA) की करारी हार के बाद कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) लगभग हर दिन ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाकर बीजेपी को घेरती है। हालाँकि, एमवीए में शामिल शरद पवार की एनसीपी (एसपी) ने ईवीएम के मुद्दे पर अपने सहयोगियों से अलग रुख अपनाया है।
वरिष्ठ नेता शरद पवार की बेटी व बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि बिना किसी पुख्ता सबूत के हार के लिए ईवीएम को दोष देना सही नहीं है. एनसीपी (एसपी) नेता सुले ने बुधवार को पुणे में मीडिया से बात करते हुए कहा, जब तक ईवीएम में छेड़छाड़ के ठोस सबूत नहीं मिलते, तब तक ईवीएम को दोष देना गलत है। ईवीएम के खिलाफ कोई भी आरोप तभी उचित हो सकते हैं जब उसके बारे में ठोस और विश्वसनीय प्रमाण उपलब्ध हों। मैं खुद ईवीएम से चार बार चुनाव जीत चुकी हूं।
ईवीएम पर सवाल उठाने वालों से असहमती जताते हुए सुप्रिया सुले कहा कि ओडिशा के बीजू जनता दल (बीजेडी) और आम आदमी पार्टी (आप) जैसे कुछ राजनीतिक दलों ने ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोपों को साबित करने के लिए डेटा होने का दावा किया है।
सुले ने दावा किया कि बीजेडी के नेता अमर पटनायक ने मंगलवार को उन्हें एक पत्र लिखा था, जिसमें ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ कुछ डेटा साझा किया गया था। हालांकि इस डेटा के बारे में पत्र में विस्तार से जानकारी नहीं दी गई थी।
शरद पवार गुट की नेता ने यह भी कहा कि आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाने और जोड़ने पर आपत्ति जताई है। केजरीवाल का यह आरोप था कि वोटर लिस्ट में नामों को बिना उचित कारण के हटाया और जोड़ा जा रहा है, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। मैं यहीं कह सकती हूं कि कुल मिलाकर माहौल परेशान करने वाला है। चाहे कोई तकनीकी समस्या हो या मतदाता सूची से जुड़ी कोई बात हो, इन बातों का जवाब बिना चर्चा के नहीं दिया जा सकता है।
आज बारामती में पत्रकारों से बात करते हुए सुप्रिया सुले ने कहा, "...यह मेरा व्यक्तिगत विचार है कि बारामती से चुनाव हारने वाले युगेंद्र पवार को फिर से वोटों की गिनती करने की मांग नहीं करनी चाहिए। इसलिए, मैंने उनसे पुनर्गणना के लिए आवेदन वापस लेने के लिए कहा और उन्होंने ऐसा ही किया है... जब मैं चार बार ईवीएम से वोट पाकर निर्वाचित हुईं हूं तो मैं कैसे कह सकती हूं कि इसमें घोटाला हुआ है...”
उन्होंने आगे कहा, “कई लोग मतदाता सूची पर बहुत सारे सवाल उत्ता रहे हैं...इसलिए मेरा मानना है कि यदि चीजें पारदर्शी तरीके से की जाती हैं, चाहे वह ईवीएम हो या मतपत्र, तो इसमें दिक्कत क्या है? अगर लोग मतपत्र से चुनाव कराना चाहते हैं तो मतपत्र से होने दीजिए, इसमें दिक्कत क्या है?”
Published on:
26 Dec 2024 04:21 pm
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