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शिवसेना सांसद के ड्राइवर को 150 करोड़ का गिफ्ट! जांच में जुटी पुलिस, जानें पूरा मामला

एकनाथ शिंदे की शिवसेना सांसद संदीपन भुमरे के ड्राइवर जावेद शेख को करीब 150 करोड़ रुपये कीमत की जमीन गिफ्ट में मिलने से हड़कंप मच गया।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jun 27, 2025

Sandipan Bhumare Driver news

शिवसेना सांसद संदीपनराव भुमरे (Photo- X)

हैदराबाद के प्रतिष्ठित सालार जंग परिवार के एक वंशज द्वारा 150 करोड़ रुपये की तीन एकड़ ज़मीन एक ड्राइवर को गिफ्ट किए जाने के मामले ने हड़कंप मचा दिया है। दिलचस्प बात यह है कि यह जमीन छत्रपति संभाजीनगर के शिवसेना (शिंदे गुट) सांसद संदीपन भुमरे (Sandipan Bhumare Driver Property) के ड्राइवर जावेद रसूल शेख (Javed Shaikh) के नाम की गई है। इस मामले की शिकायत मिलने के बाद छत्रपति संभाजीनगर शहर की आर्थिक अपराध शाखा ने जांच शुरू कर दी है।

यह मामला संभाजीनगर के जालना रोड स्थित दाउदपुरा इलाके की ज़मीन से जुड़ा है, जिसे रेडी रेकनर रेट के अनुसार करोड़ों की कीमत की बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि सालार जंग वंशज मीर मजहर अली खान और उनके छह रिश्तेदारों ने ‘हिबानामा’ (गिफ्ट डीड) के तहत यह संपत्ति जावेद रसूल शेख के नाम की है। जबकि शेख से उनका कोई खून का रिश्ता नहीं है, हालांकि शेख ने कहा कि वह परिवार को उन्हें जानते है। इस पर अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर रक्त संबंधी नहीं होने पर भी इतनी कीमती जमीन एक ड्राइवर को क्यों और किस आधार पर गिफ्ट की गई?

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जांच के घेरे में आए शिवसेना नेता संदीपान भुमरे के के विधायक बेटे विलास भुमरे ने कहा कि जावेद शेख मेरे पिता के ड्राइवर हैं, लेकिन उनके व्यक्तिगत जीवन या लेनदेन से उनका कोई लेना-देना नहीं है।

ड्राइवर को जांच के लिए बुलाया गया

उधर, आर्थिक अपराध शाखा ने ड्राइवर जावेद शेख को तलब कर आयकर रिटर्न की प्रतियां, आय के स्रोत और गिफ्ट डीड के कानूनी आधार की जानकारी मांगी है। यह जांच परभणी के एक वकील द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर की जा रही है। इसके अलावा आर्थिक अपराध शाखा पूर्व राज्यमंत्री संदीपान भुमरे और उनके विधायक बेटे विलास की भी जांच कर रही है।

क्या है हिबानामा?

हिबानामा एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसमें मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति (जमीन, घर, गहने आदि) बिना किसी लेन-देन के स्वेच्छा से किसी को उपहार यानी गिफ्ट करता है। यह शब्द अरबी भाषा से आया है और मुस्लिम पर्सनल लॉ में इसका विशेष महत्व है। इसे पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है।    

बताया जा रहा है कि सालार जंग परिवार कभी तत्कालीन हैदराबाद रियासत में निजामों के प्रमुख सलाहकार और प्रधानमंत्री रहे हैं और उनकी गिनती आज भी प्रतिष्ठित घरानों में होती है। आर्थिक अपराध शाखा अब यह जानने में जुटी है कि इस हिबानामा के पीछे की मंशा क्या है, क्या यह सचमुच निःस्वार्थ गिफ्ट है या इसके पीछे कोई और वजह है? हालांकि आने वाले दिनों में यह मामला महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा भूचाल ला सकता है।

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