27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

उद्धव ठाकरे से क्यों छिना शिवसेना का नाम और निशान? इन तथ्यों के आधार पर चुनाव आयोग ने लिया फैसला

Maharashtra Politics: एकनाथ शिंदे गुट का समर्थन करने वाले शिवसेना के 13 सांसदों ने कुल 1,02,45,143 वोटों में से 74,88,634 वोट हासिल किए, जो लोकसभा 2019 के आम चुनाव में 18 सांसदों के पक्ष में डाले गए वोटों का लगभग 73 फीसदी है।

2 min read
Google source verification

मुंबई

image

Dinesh Dubey

Feb 17, 2023

uddhav_thackeray.jpg

उद्धव ठाकरे

Uddhav Thackeray Loses Shiv Sena Name Symbol: शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे को आज सुबह तब बड़ा झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने उनके खेमे द्वारा 2016 के नबाम रेबिया मामले के फैसले पर पुनर्विचार के लिए सात जजों की बेंच के पास भेजने के अनुरोध को ठुकरा दिया। इस घटनाक्रम के बाद ठाकरे गुट को शाम में एक और बड़ा झटका लगा। दरअसल केंद्रीय चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और धनुष-बाण का चुनाव चिह्न दे दिया।

चुनाव आयोग ने आज अपने 78 पन्नों के आदेश में कहा कि पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का प्रतीक धनुष और तीर एकनाथ शिंदे गुट के पास रहेगा। बीते साल जून में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद शिंदे समूह ने शिवसेना पर दावा किया था और खुद को असली शिवसेना बताते हुए चुनाव आयोग और देश की शीर्ष कोर्ट में क़ानूनी लड़ाई शुरू की। तब चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को ‘शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ और मशाल निशान दिया था, वहीं एकनाथ शिंदे गुट को ‘बालासाहेबबांची शिवसेना’ और ढाल-तलवार निशान आवंटित किया था। यह भी पढ़े-उद्धव ठाकरे के हाथ से गई पार्टी, एकनाथ शिंदे गुट को मिला ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष-बाण’ निशान


चुनाव आयोग ने इन तथ्यों के आधार पर लिया निर्णय

- चुनाव आयोग ने किस पक्ष को बहुमत है, यह तय करने के लिए 2018 के पार्टी संविधान को देखा। लेकिन कोई संतोषजनक निष्कर्ष नहीं निकला क्योंकि पार्टी का 2018 का संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। चुनाव आयोग ने पाया कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है। बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर दिया गया है। इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है।

- इसके बाद चुनाव आयोग ने प्रत्येक गुट के सांसदों, विधायकों और एमएलसी की संख्या का आकलन किया। याचिकाकर्ता (एकनाथ शिंदे) ने 40/55 विधायकों और 13/19 सांसदों के समर्थन का दावा किया है। प्रतिवादी (उद्धव ठाकरे) को 15/55 विधायकों, लोकसभा में 7/19 सांसदों और राज्यसभा में 3/3 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।

- याचिकाकर्ता (शिंदे) के समर्थन वाले 40 विधायकों ने पिछले विधानसभा चुनाव में 47,82,440 वोटों में से 36,57,327 वोट हासिल किए थे। जबकि उद्धव खेमे के 15 विधायकों को 11,25,113 वोट मिले।

- चुनाव आयोग ने कहा कि इसके अलावा, महाराष्ट्र की विधानसभा द्वारा आम चुनाव 2019 में शिवसेना द्वारा पड़े कुल वोट 90,49,789 (हारने वाले उम्मीदवारों सहित) में शिंदे गुट का समर्थन करने वाले 40 विधायकों द्वारा डाले गए वोट लगभग 40 प्रतिशत हैं, जबकि उद्धव ठाकरे गुट को समर्थन देने वाले 15 विधायकों के कुल वोटों का करीब 12 प्रतिशत वोट है।

- शिंदे गुट का समर्थन करने वाले 13 सांसदों ने कुल 1,02,45,143 वोटों में से 74,88,634 वोट हासिल किए, जो लोकसभा 2019 के आम चुनाव में 18 सांसदों के पक्ष में डाले गए वोटों का लगभग 73 फीसदी है। उद्धव ठाकरे गुट को समर्थन देने वाले 5 सांसदों ने 27,56,509 वोट हासिल किए, जो कि 18 सांसदों के पक्ष में पड़े कुल वोट का करीब 27 फीसदी वोट है। चुनाव आयोग के समक्ष उद्धव गुट ने 6 सांसदों के समर्थन का दावा किया था, जबकि हलफनामे में केवल 4 सांसद बताये गए।