
शिवसेना किसकी? अब नवंबर में होगी सुनवाई (Patrika Photo)
Shiv Sena Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट में करीब तीन साल से लंबित शिवसेना पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह से जुड़े मामले की सुनवाई एक बार फिर टल गई है। बुधवार को इस मामले में कोई बड़ा फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन ऐन मौके पर सशस्त्र बलों से जुड़ा एक अहम मामला आने की वजह से शिवसेना मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। नतीजतन, शिवसेना से जुड़े इस विवाद पर अंतिम बहस आज भी नहीं हो सकी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू होने से पहले ही उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट को स्पष्ट कर दिया था कि आज का समय सीमित होगा। ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर आज सुनवाई संभव नहीं है, तो अगली तारीख दे दी जाए। इस पर अदालत ने 12 नवंबर की तारीख तय की।
शिंदे गुट के पास फिलहाल शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ है। इसलिए उन्होंने कहा कि अगर सुनवाई दिसंबर में भी हो, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं। इसके जवाब में कपिल सिब्बल ने जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि जनवरी में महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं, इसलिए इससे पहले यह मामला निपटना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अंतिम दलीलें रखने में 45 मिनट से ज्यादा नहीं लगेंगे।
गौरतलब हो कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर कई विधायकों के साथ अलग गुट बनाया था। इसके बाद 15 फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को 'शिवसेना' नाम और 'धनुष-बाण' चिन्ह दे दिया। जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जो दो साल से लंबित है। उद्धव गुट चाहता है कि कोर्ट राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अस्थायी राहत दे, ताकि उनका नुकसान न हो।
शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की 99वीं जयंती के मौके पर आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा था, "उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उबाठा) ने महाराष्ट्र विधानसभा की 97 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल 20 सीट जीतीं। जबकि हमने 80 सीट पर चुनाव लड़ा और 60 सीट जीतीं। यह जीत शानदार है। अब बताइए असली शिवसेना किसकी है। जनता ने अपना फैसला सुना दिया है कि असली शिवसेना कौन सी है।’’
शिंदे ने कहा, ‘‘हम बालासाहेब ठाकरे की विरासत के उत्तराधिकारी हैं। लोगों ने इस पर अपनी मुहर लगा दी है। आत्मसम्मान किसी भी पद से अधिक महत्वपूर्ण होता है। हम बालासाहेब के आदर्शों के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे।’’
Updated on:
08 Oct 2025 03:36 pm
Published on:
08 Oct 2025 03:18 pm
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