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Maharashtra Politics: गठबंधन पर सस्पेंस, लेकिन विरोध मार्च में साथ… ठाकरे ब्रदर्स में बढ़ी नजदीकी, तो कांग्रेस ने कही बड़ी बात

Uddhav Thackeray Raj Thackeray alliance : महाराष्ट्र से ‘भाषा’ को लेकर शुरू हुआ विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। इस मुद्दे पर आज एक बार फिर राज ठाकरे की मनसे और उद्धव ठाकरे कि शिवसेना (UBT) साथ नजर आई।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jul 08, 2025

Raj Thackeray and Uddhav Thackeray unite

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे (Photo: IANS)

मुंबई और उपनगरों में मराठी और हिंदी भाषा को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। मराठी मुद्दे पर राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) एक खेमे में है। हालांकि दोनों दलों ने अभी तक आगामी बीएमसी चुनावों में गठबंधन को लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि आज मीरा-भायंदर में निकाले गए मोर्चे में मनसे और ठाकरे गुट एक बार फिर एक साथ नजर आया। इससे पहले 5 जुलाई को मुंबई में उद्धव और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे दो दशक बाद एक मंच साथ आये थे।

मराठी भाषा से जुड़े विवाद को लेकर हुए इस मोर्चे में मनसे और उद्धव ठाकरे गुट के कई नेता और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित हुए। उद्धव ठाकरे गुट के पूर्व सांसद राजन विचारे ने भी इस मोर्चे में भाग लिया। मनसे के नेता संदीप देशपांडे और पूर्व विधायक नितीन सरदेसाई भी मौजूद रहे।

गठबंधन पर क्या बोली कांग्रेस?

महाराष्ट्र में इस वर्ष के अंत में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा, "शिवसेना और कांग्रेस संविधान की रक्षा के लिए साथ आए हैं। भविष्य में उनका गठबंधन जारी रहेगा या नहीं, या इसका क्या होगा, इस पर स्थिति आने पर टिप्पणी करना उचित होगा।" फिलहाल राज ठाकरे महाविकास आघाडी (एमवीए) में शामिल नहीं हैं, लेकिन शिवसेना (UBT) विपक्षी गठबंधन एमवीए का हिस्सा है।

इससे पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के साथ आने को लेकर जारी चर्चा के बीच कहा था कि कांग्रेस गठबंधन के संदर्भ में सिर्फ शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख से बात करेगी तथा किसी तरह का ‘सहायक गठजोड़’ बनाने का फैसला उन पर छोड़ देगी। लेकिन बहुत से कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता चाहते है कि पार्टी स्थानीय निकाय चुनाव अपने दम पर लड़े।

दरअसल कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि पार्टी राज्य के उन ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अकेले चुनाव लड़कर अपनी खोई हुई जमीन वापस हासिल करे, जहां बीजेपी की स्थिति मजबूत हो रही है।  

चुनावी माहौल में मराठी अस्मिता का मुद्दा गरमाया

गौरतलब है कि मुंबई महानगरपालिका चुनाव (BMC Election) की घोषणा कुछ ही दिनों में हो सकती है। ऐसे में मराठी अस्मिता के नाम पर उठाया गया यह मुद्दा राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम हो गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा किसको ज्यादा फायदा पहुंचाता है और इसका चुनावी असर क्या होगा।

महाराष्ट्र के 29 नगर निगमों, 248 नगर परिषदों, 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के चुनाव इस वर्ष के अंत में या अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले हैं। ये चुनाव 2029 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सबसे अहम चुनाव है।